पिछड़े बालक (Backward Children) Important CTET Notes

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पिछड़े बालक – Backward Children Important CTET Notes 

ऐसे बालक जो कक्षा में बुद्धि तथा शिक्षा प्राप्त करने में सामान्य बालकों से काफी पीछे रह जाते हैं उन्हें पिछड़े बालक कहा जाता है।

पिछड़े बालक का अर्थ: पिछड़े बालकों से तात्पर्य ऐसे बालकों से है जो शिक्षा प्राप्त करने में सामान्य बालकों से पिछड़ जाते हैं अतः जो बालक अपनी कक्षा में अन्य बालकों से शिक्षा की दृष्टि से पिछड़ जाते हैं उन्हें पिछड़े बालक कहा जाता है। पिछड़े बालक के लिए मन बुद्धि होना आवश्यक नहीं है। एक औसत या तीव्र बुद्धि का बालक भी पिछड़ा बालक हो सकता है। पिछड़ेपन के कई कारण हो सकते हैं। जैसे: परिवार की निर्धनता, शारीरिक कारण, परिवार में झगड़े, परिवार की अशिक्षा, परिवार का शोर-शराबा युक्त वातावरण, बुरे मित्रों की संगति, अयोग्य  निष्ठुर अध्यापक आदि।

बालकों के पिछड़ेपन (Backwardss) को दो आधारों पर मापा जाता है:

  1. बुद्धि के आधार पर
  2. शैक्षिक उपलब्धि के आधार पर (शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े बालक)

पिछड़े बालक की परिभाषाएं:

  • बार्टन के अनुसार: सामान्यता पिछड़े बालक वे होते हैं जिनकी शैक्षिक उपलब्धि उनकी स्वाभाविक योग्यताओं से कम होती है।
  • बर्ट के अनुसार: ” पिछड़े बालक वे होते हैं जो अपनी आयु स्तर की कक्षा से एक सीढ़ी नीचे की कक्षा का कार्य करने में भी असमर्थ होते हैं”
  • शोनेल एवं शोनेल : ” पिछडे बालक उसी जीवन आयु के अन्य छात्रों की तुलना में विशेष शैक्षिक निम्नता व्यक्त करते है।
  • हिज मैजेस्टी कार्यालय के अनुसार: हिज मैजेस्टी कार्यालय के प्रकाशन पिछेड़ बालकों की शिक्षा में कहा गया है- ” पिछड़े बालक वे है, जो उस गति से आगों बढने में असमर्थ होते है, जिस गति से उनकी आयु के अधिकांश सथी आगे बढ़ रहे हैं। “
  • सिरिल बर्ट के अनुसार: ” पिछेडे बालक वो है जो विद्यालय जीवन के मध्य में ( अर्थात लगभग साढे दस वर्ष की आयु में) अपनी कक्षा से नीचे की कक्षा के उस कार्य को ना कर सके जो उसकी आयु के बालकों के लिए सामान्य कार्य है।”
  • बुद्धि के आधार पर पिछड़ेपन को मानसिक मंदता कहते हैं। (Mental Retardation)
  • तथा शैक्षिक उपलब्धि ” शैक्षिक दृष्टि से पिछड़ेपन को शैक्षिक मंदता (Educational Retardation) कहा जाता है।

पिछड़े बालकों की विशेषताएं (characteristics of Backward child) 

पिछड़े बालकों में निम्नलिखित विशेषताएं पाई जाती है: 

  • ऐसे बालकों की सीखने की गति धीमी होती है।
  • बुद्धि परीक्षाओं में निम्न बुद्धि लब्धि (90 से 110)
  • पिछड़े बालकों की सीखने की गति धीमी होती है।
  • सामान्य विद्यालय के पाठ्यक्रम से लाभ उठाने में असमर्थता।
  • पिछड़े बालक मानसिक रूप से अस्वस्थ रहते हैं।
  • जन्मजात योग्यताओं की तुलना में कम शैक्षणिक उपलब्धि।
  • ऐसे बालक प्राय: असमायोजित व्यवहार करते हैं।
  • ऐसे बालक अपनी और उससे नीचे की कक्षा का कार्य करने में असमर्थता
  • मंदबुद्धि सामान्य बुद्धि या अति श्रेष्ठ बुद्धि का प्रमाण।
  • जीवन के प्रति निराशा होती है।

पिछड़े बालक का शैक्षिक लब्धि Educational Quotientor or EQ

पिछड़े बालक का शैक्षिक लब्धि:

 

 

बर्ट के द्वारा कहा गया कि जिन बालकों के शैक्षिक लब्धि 85 से कम है उनकी पहचान निश्चित रूप से पिछड़े बालक के रूप में की जाती है।

बालकों के पिछड़ेपन के कारण ( Cause of Backwards Among Children)

बालकों के पिछड़ेपन के कारण निम्नलिखित हैं:

  • परिवारिक स्थिति
  • विद्यालय में अनुपस्थिति
  • विद्यालय वातावरण
  • शारीरिक दोष
  • परिवार के निर्धनता
  • माता-पिता की अशिक्षा
  • परिवार के झगड़े
  • दोस्तों की संगति
  • परिवार का बड़ा आकार
  • शारीरिक रोग
  • माता-पिता का दृष्टिकोण
  • बौद्धिक क्षमता की कमी
  • वातावरण का प्रभाव
  • स्वभाव संबंधी दोष

पिछड़े बालकों की समस्याएँ : Problem of Backward Children

  • पिछड़े बालकों की सबसे ज्यादा समस्या कक्षा में समायोजन स्थापित करने में परेशानी होती है, ऐसे बालकों को पाठ्यक्रम बहुत कठिन लगता है, और ऐसे बालक पाठ्यक्रम को समझ नहीं पाते और अन्य बालको से शिक्षा की दृष्टि में पीछे हो जाते हैं।
  • ऐसे बालकों को स्कूल तथा अध्यापक के प्रति नकारात्मक व्यवहार होता है, क्योंकि उनका कक्षा में अन्य साथियों के साथ अक्सर मजाक उड़ाया जाता है।
  • ऐसे बालकों में पढ़ने लिखने एवं सीखने की क्षमता बहुत कम होती है क्योंकि उनके घर तथा व्यक्तिगत अनुभूतियां इतनी अच्छी नहीं होती जो उनके सीखने की अभिप्रेरणा को बिल्कुल समाप्त कर देती है।
  • ऐसे बालकों में आत्मविश्वास की कमी होती है और प्रायः ऐसे बालकों को लगातार असफलता ही मिलती है इन बालकों में मनोबल एवं आतम निर्भरता जैसे गुण नहीं विकसित हो पाते हैं।

पिछड़े बालक एवं उनकी पहचान( Backward Child and Their Identity)

  • ऐसे बालक जो अपनी आयु के बालक से कम शैक्षिक उपलब्धि प्राप्त करते हैं, पिछड़े बालक की श्रेणी में आते हैं। इन बालकों के पिछड़ेपन के कारण बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे: शारीरिक रोग, मानसिक अस्वस्थता, घर परिवार वातावरण का अनुकूल ना होना।
  • बालक के पिछड़ेपन समस्या को दूर करने से पहले इन सभी कारणों का पता लगाया जाना चाहिए। जैसे: बुद्धि परीक्षणों द्वारा, उपलब्धि परीक्षणो द्वारा, तथा बालक की रूचियों, शारीरिक क्षमताओं और कुशलता इत्यादि द्वारा बालक के पिछड़ेपन के कारणों का पता लगाया जा सकता है।
  • बालकों के पिछड़ेपन की रोकथाम के लिए अध्यापकों को अभिभावकों से मिलकर बालकों के पिछड़ेपन के कारणों का पता लगाया जाना चाहिए तथा उन्हें दूर करके उनकी शिक्षा की मुख्यधारा मे सम्मिलित करने का प्रयास करना चाहिए।
  • अध्यापकों तथा अभिभावकों को मिलकर पिछड़े बालकों के शिक्षा में उत्थान के लिए अपना योगदान देना चाहिए।
  • अध्यापकों तथा अभिभावकों को बालकों के पिछड़ेपन के कारण जैसे: शारीरिक दोष का पता लगाकर तथा रोगों का उपचार करना चाहिए। तथा उनके शारीरिक निर्बलता को दूर करने के लिए उन्हें संतुलित भोजन दिया जाने की व्यवस्था कराई जानी चाहिए।
  • गरीब परिवार के बच्चों को निशुल्क शिक्षा तथा छात्रवृत्तियाँ देने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  • बालकों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए परिवारिक वातावरण में सुधार करने का प्रयास करना चाहिए।
  • बालकों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए बालकों के माता-पिता को शिक्षित करना जरूरी है और उनमें अच्छी आदतें विकसित करने का प्रयास करना चाहिए।
  • ऐसे बालकों को को संगीत मित्रों के साथ संगति करने से बचना चाहिए।
  • बालकों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए उन्हें विभिन्न विधियों का प्रयोग करके रूचि पूर्व तरीकों से श्रव्य या दृश्य सामग्री की सहायता से धीमी गति से पढ़ाया जाना चाहिए।
  • बालकों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए विशेष कक्षाओं की व्यवस्था की जानी चाहिए।

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