बुद्धि निर्माण एवं बहुआयामी बुद्धि और शिक्षा: Multi-Dimensional Intelligence-CTET TET Notes

बुद्धि निर्माण एवं बहुआयामी बुद्धि और शिक्षा( Multi-Dimensional Intelligence)

अगर किसी भी कार्य को बिना गलती के किया जाएं और बिना कठिनाई से किया जाएं तो वो बौद्धिक क्षमता का सूचक मना जाता है। बुद्धि ही वह शक्ति है जो हमें समस्याओं का समाधान करने में सहायता प्रदान करती है। वैसे तो बुद्धि के विषय में अलग अलग मनोवैज्ञानिको ने अलग बात कही है। फिर भी बोला जा सकता है की बुद्धि व्यकितत्व का निर्धारक तत्व है। बहुआयामी बुद्धि और शिक्षा के बारे मे अधिक जानने से पहले सबसे पहले  बुद्धि क्या है ? और उसके अर्थ एवं प्रकृति को जानना होगा ?

बुद्धि का अर्थ (Meaning of Intelligence) :

देखा गया है सामान्यत बुद्धि शब्द का प्रयोग ज्ञान, प्रातिभा प्रज्ञा और समझ आदि के अर्थों से होता है। बुद्धि द्वारा ही हम विभिन्न समस्याओ का समाधान करने में सक्षम होते है। वैसे तो सभी व्यक्ति बोधिक रूप से अलग अलग होते है, जैसे कई बालक प्रतिभाशाली होते हैं और कुध सामान्य और कुध मन्द बुद्धि के होते है। इन सभी भिन्नता के कुध करण है – (1) वंशानुक्रम (2) वातावरण (3) या दोनो ।

मनोवैज्ञानिकों ने ‘बुद्धि’ के अर्थ को सामान्य अर्थ से विशेष अर्थ बताया है। शुरुआत से ही मनोवैज्ञानकों ने बुद्धि शब्द को अनेक शब्दो द्वारा परिभाषित करने की कोशिश की है। सबसे पहले Boring ने 1923 में बुद्धि को एक औपचारिक परिभाषा (Formal definition) दिया  कि “बुद्धि परीक्षण जो मापता है, वही बुद्धि है। “(Intelligence is what intelligence measure)

पर इस परिभाषा के द्वारा बुद्धि के रूवरूप (Nature) का निश्चित अर्थ का पता नही लगा। इसके बाद बुद्धि को मापने के लिए बहुत से परीक्षण (प्रयोग) किये गए। इन मे से ही कई परीक्षणों के द्वारा किये गये मापन को बुद्धि कहा गया। बोरिंग के बाद अनेकों  मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि के सम्बंन्ध में अपने अपने ढंग से परिभाषित किया।

इन परिभाषाओ को तीन क्षेणीयो मे बाँटा गया –

  1. (Adjustment) समायोजन की योग्यता के रूप में : इस क्षेणी में उन परिभाषाओं को रखा गया जिसमें बुद्धि को वातावरण के साथ समायोजन( adjustment) करने की क्षमता के आधार पर परिभाषित किया गया । इस प्रकार से जो व्यक्ति जितनी जल्दी वातावरण के साथ समायोजन कर लेता है, वह उतना ही तीव्र बुद्धि का समझा जाता है।
  2. Ability to learn ( सीखने की योग्यता के रूप में) : दुसरे श्रेणी मे उन परिभाष को रखा गया  जिस में व्यक्ति मे सीखने की क्षमता जितनी ही अधिक होती है, उस व्यक्ति में बुद्धि भी उतनी ही होगी।
  3. As an ability to abstract thinking( अमूर्त चिन्तन की योग्यता के रूप में ) : तीसरे श्रेणी में उन परिभाषओं को समलित किया गया है जिस व्यकित में अमूर्त चिन्तन की योग्यता जितनी अधिक होगी उस व्यक्ति में बुद्धि भी उतनी ही अधिक होगी।

पर बाद में ज्यादा तर मनोवैज्ञानिकों को यह लगा की यह तीनों श्रेणियों की परिभाषाओं का एक सामान्य दोष ( Common defect) है और वह यह है कि प्रत्येक श्रेणी की परिभाषाओं में बुद्धि के मात्र एक पहलू या पक्ष को आधार मानकर बुद्धि को परिभाषित किया गया है। वास्तव में बुद्धि मे केवल एक ही तरह की क्षमता ( या पहलू) सम्मिलित नही होती बल्कि इसमें अनेक तरह की क्षमताएँ जिन्हे सामान्य क्षमता ( general ability) कहा जाता है, सम्मिलित होता है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए कुध मनोवैज्ञानिको ने बुद्धि को दूसरे ढंग से परिभाषित किया है इन परिभाषाओ में से कुछ सर्वश्रेष्ठ परिभाषाओ को नीचे दिया जा रहा है –

जैसे की हम सभी जानते है, मनुष्य एक बुद्धिमान प्राणी है, जो कि बुद्धि में सभी जीवों में श्रेष्ठ है और सभी से अलग है। इस लिए बुद्धि वह शक्ति हैं जिस की मदद से सभी समस्याओं को हल करने में सहायता मिलती हैं।

बिनेट के अनुसार :” समस्यो को समझना और तर्क के आधार पर किसी महत्वपूर्ण निर्णय पर पहुँचना बुद्धि की आवश्यक क्रियाएँ है.”

स्टर्न के अनुसारः “किसी भी नवीन  परिस्थितियों में अपने विचारों कों व्यक्त करने की एक सामान्य क्षमता बुद्धि है”

बुद्धि की परिभाषाएँ ( Definitions of Intelligence) :

  • एल एंम. र्टमन के शब्दो में – ” बुद्धि अमूर्त चिन्तन के सन्दर्भ मे सोचने की योग्यता है। ( “ Intelligence is the ability to abstract thinking” )
  • पिन्टर के अनुसार: जीवन की अपेक्षाकृत नवीन परिस्थितियों से अपना सामंजस्य करने की व्यक्ति की योग्यता ही बुद्धि है।
  • राँस के शब्दो में : बुद्धि नई पारिस्थिति में सचेत अनुकूलन हैं।
  • वैश्लर के अनुसार : बुद्धि किसी व्यक्ति के द्वारा उद्देश्यपूर्ण ढंग से कार्य करने, तार्किक चिन्तन करने तथा वातावरण के साथ प्रभावपूर्ण ढंग से क्रिया करने की सामूहिक योगयता है। वैश्लर के अनुसार : बुद्धि के तीन पक्ष है – (1) कार्यात्मक (2) संरचनात्मक (3) क्रियात्मक तथा वंशानुक्रम और वातावरण
  • वुडवर्थ के शब्दो में “ बुद्धि क्षमता ग्रहण करने की क्षमता है।” ( “Intelligence is the capacity to acquire capacity”. )
  • पियाजे के अनुसार – “ वृद्धि भौतिक और सामाजिक वातावरण का अनुकूलन है।”
  • स्पीयरमैन ने बुद्धि को औचित्यर्थण चिन्तन कहा है।
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बुद्धि को निर्धारित करने वाले तत्व है –

  1. वंशानुक्रम
  2. वातावरण
  3. वंशानुक्रम तथा वातावरण इन दोनो की अन्त: क्रिया बुद्धि को निर्धारित करने वाले कारक हैं।

बुद्धि के प्रकार ( Types of Intelligence)

थार्नडाइक के अनुसार  बुद्धि को तीन चरणों में बटां गया है –

  1. अमूर्त बुद्धि ( Abstract Intelligence)
  2. ठोस या बुद्धि (Concrete or Motor Intelligence)
  3. सामाजिक बुद्धि (Social Intelligence)
  1. अमूर्त बुद्धि (Absent Intelligence): अमूर्त बुद्धि के अन्तर्गत है चिह्न, शब्द, सूत्र, अंक आदि से संबंधित समस्याओ को सुलझाने को शामिल किया गया है। इन अमूर्त चिन्तन से तात्पर्य वैसी मानसिक क्षमता से होता है, जिसके सहारे व्यक्ति शाब्दिक ( Verabal) तथा गणितीय संकेत एवं चिन्हों के संबंधों को आसानी से समझ जाता है तथा यह समस्यओं को पढ़ने और हल करने की अभिरूचि है, जिन्हे प्रतीक, ग्राफ, चित्र संकेतो द्वारा प्रस्तुत किया जाता है ।
  2. ठोस या गत्यात्मक बुद्धि ( Concrete or Motor Intelligence): ठोस या गत्यात्मक बुद्धि से तांत्पर्य ऐसे मानसिक क्षमता से होता है। जिसके सहारे व्यक्ति ठोस वस्तुओ के महत्वं को समझता है। उदहारण : जैसे- खेल – नृत्य आदि में गतिशील बुद्धि होती है इसका संबंध शारीरिक शिक्षा से होता है। तथा इस तरह को बुद्धि की जरुरत व्यापार एंव विभिन्न विभिन्न तरह के व्यवसयो में अधिकतर पड़ती है।
  3. सामाजिक बुद्धि ( Social Intelligence) : सामाजिक बुद्धि से तात्पर्य वैसे सामान्य मानसिक क्षमता से है जिसके मदद से व्यक्ति एक दूसरे को सही ढंग से समझता है और व्यवहार कुशलता दिखलाता है। इस प्रकार की बुद्धि का संबध दैनिक जीवन की क्रियाओं से होता है। यह समाज में लोगों के साथ समयोजन की क्षमता को बढ़ाती है। इस प्रकार कहा जा सकता है, यह समाजिक परिस्थितियों से समायोजन करने की क्षमता है।

बुद्धि के सिद्धांत (Theories of Intelligence)

  1. इकाई सिद्धांत( Unitary Theory)
  2. द्वि – कारक सिद्धांत (Two factors Theory )
  3. समूह – कारक सिद्धांत (Group Factor Theory)
  4. प्राइमरी मानसिक योग्यताओं का सिद्धांत( Theory of Primary Mental ability)
  5. बहु – कारक सिद्धांत (Multi Factors Theory)
  6. कैले का बुद्धि सिद्धांत (Kelley’s theory of Intelligence)
  1. इकाई सिद्धांत (Unitary Theory) इस सिद्धांत का प्रतिपादन  बीने र्टमन और जॉनसन ने किया है। इस सिद्धांत के अनुसार बुद्धि को एक भाग शक्ति या कारक के रूप मे मना जाता है जो व्यक्ति की संपूर्ण कियाओं को प्रभावित करती है। इस प्रकार से सभी मनोवैज्ञानिक मानते है कि बुद्धि (single function)  उत्तम निर्णय लेने में सक्षम है।
  • यह भी स्पष्ट है कि है इस सिद्धान्त में बुद्ध को एक शक्ति या कारक के रूप में माना गया है ।
  • इस मे मनोवैज्ञानिको के द्वारा माना गया बुद्धि एक मानसिक शक्ति है, जो व्यक्ति के सभी कार्यों का संचालन तथा व्यक्ति के समस्त व्यवहारों को प्रभावित करती है।

यह सिद्धांत सबसे पुराना सिद्धांत हैं इस सिद्धांत को संकाय – सिद्धांत (Faculty Theory) से जानते है। इस सिद्धांत का विकास 18वीं और 19वीं शताब्दी में हुआ। इस सिद्धांत के अनुसार अगर व्यक्ति एक कार्य में बुद्धिमान होता है तो उसे दूसरे कार्यो में भी बुद्धिमान होना चाहिए पर ऐसा होता नहीं है।

2) द्वि-कारक सिद्धांत (Two-factor Theory)  द्विकारक सिद्धांत प्रतिपादक स्मीयरमैन है इस सिद्वांत मे उन्होंने दो कारक बताए हैं। इस सिद्धांत में सह – संबंध का प्रयोग किया गया था। इन दो कारकों में एक कारक को G अर्थात् सामान्य कारक (General factor) कहा गया और दूसरे कारक को S यानि विशिष्ट कारक (specific factor) की आवश्यकता होती है, क्योंकि बौद्धिक कार्य में दोनों कारक भाग लेते हैं।

स्पीयर मैन के अनुसार : दोनों कारक सह – संबंधित होते हैं।

व्यकित की कार्य सम्पन्ना = सामान्य कारक + विशिष्ट कारक

Individual Performance = G + C

उपरोक्त चित्र से पाता चलता है कि सामान्य कारक (G) काला भाग है। और सफेद भाग S1 व S2 जोकि विशेष कारक है, एक दूसरे से स्वतंत्र है और G की संलग्नता दोनों को चाहिए।

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परंतु द्वि-कारक सिद्धांत को सभी मनोवैज्ञानिक स्वीकार नहीं करते हैं। इन लोगों का कहना है कि स्पीयरमैन जिसे सामान्य कारक (योग्यता) कहते हैं उसे अनेक योग्यताओं में विभाजित किया जा सकता है। थामसन व गोदरे जैसे मनोवैज्ञानिक द्विकारक सिद्धांत को अपूर्ण मानते हैं।

3) समूह – कारक सिद्धांत (Group Factor Theory) – समूह कारक सिद्धांत के प्रतिपादक थाँमसन है। इस सिद्धांत को बुद्धि के नमूने का सिद्धांत भी कहते है। इस सिद्धांत के अनुसार बौद्धिक योग्यताएँ कुध समूहों से जुड़ी होती है। और इनका संबधं न होकर इनका संबधं सकारात्मक होता है।

अर्थात जो तत्व सभी प्रीतभात्मक योग्यताओं में तो सामान्य नहीं होते परन्तु कई कियाओं में सामान्य होते है, उन्हे ग्रुप – तत्व की संज्ञा दी गई है।

इस सिद्धांत का परीक्षण करते हुए यह स्पष्ट हुवा कि कुछ मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्व सामान्य तत्व सामान्य रूप से विद्यमान होता है, जो उन क्रियाओं के कई ग्रुप होते हैं, उनमें अपना एक प्रमुख तत्व होता है।

इस सिद्धान्त की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि यह हैै कि यह सामान्य तत्व की धारणा का खण्डन करता है।

4) प्राइमरी मानसिक योग्यताओं का सिद्धांत(Theory of Primary Mental Ability) इस सिद्धांत के प्रतिपादन र्थस्टन थे । इस सिद्धांत का प्रतिपादन करने में र्थसटन ने कारक – विश्लेषण विधि सहायता ली थी। र्थसटन ने कई प्रयोग किए और इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि बुद्धि सात मानासिक योग्यताओं से मिलकर बनी हैं ।

  1. शादिक बोध (Primary comprehension)
  2. सांख्यिक योग्यता (Numerical Ability)
  3. प्रत्यक्षीकरण गति (Perceptual Speed)
  4. स्थान संबंधी योग्यता( Spatial Ability)
  5. तर्क शक्ति (र्तक करना) (Reasoning)
  6. शब्द-प्रवाह (World-Fluency)
  7. स्मृति (Memory)

(5) बहु कारक सिद्धांत (Multifactor Theory)

बहुकारक सिद्धांत को थाँर्नडाईक ने प्रस्तुत किया था। इस सिद्वांत के अनुसार बुद्धि विशेष और स्वतंत्र मानसिक कासकों से बनी होती है। सामान्य कारक जैसा कुध भी नहीं होता है। यह सिद्वांत द्वि – कारक सिद्धांत को शुद्ध करता हैं थाँर्नडाईक ने एक निष्कर्ष निकाला कि प्रत्येक कार्य में कुछ कारक अपनी भूमिका निभाते है और उनमें सह – सम्बंध होता है। इससे यह संकेत मिलता है कि इन कार्यो में कुध कारक साझे होते है।

(6) कैले का बुद्धि सिद्धांत ( Kelley’s Theory of Intelligence)

कैले ने बुद्धि को पाँच मानसिक योग्यताओं से निर्मित माना है। ये पाँच मानसिक योग्यता निम्न प्रकार से है।

  1. अंक योग्यता (Numerical Ability)
  2. स्थान सम्बंधी योग्यता (Ability to experience)
  3. याद करने की योग्यता (Memory)
  4. अनुभव करने की योग्यता(Ability to Experience)
  5. समझने की योग्यता ( Ability to under stand)

इस प्रकार उपरोक्त अध्ययन से हम बुद्धि की प्रकृति व अर्थ को समझ सकते हैै कि बुद्धि की संरचना क्या है? अतः विधार्थियो को चाहिए कि बुद्धि को पूर्णतः समझने के लिए बुद्धि के सिद्धांतो का भी अध्ययन करें।

बहुआयामी बुद्धि (Multi-Dimensional Intelligence)

कैली व र्थसटन ने बताया कि बुद्धि का निर्माण प्राथमिक मानासिक योग्यताओं के द्वारा होता है। कैली के अनुसार 05 मानसिक योग्यताओ द्वारा बुद्धि का निर्माण होता हैं ये पाँच योग्यता हम पढ़ चुके है। और र्थसटन ने सात 07 मानसिक योग्यताओं से बुद्धि का निर्माण किया है।

अधिकतर मनोवैज्ञानिको ने कैले व र्थसटन द्वारा दिए गए सिद्धांतो की अलोचना की है लेकिन अधिकार मनोवैज्ञानिको ने इस बात से सहमत है कि बुद्धि का बहुआयामी होना निशिचत तौर पर सम्भव है। इसी कारण से कुछ लोग कई प्रकार के कौशलों में माहिर हो जाते हैं।

मानसिक आयु और बुद्धि लब्धि ( Mental Age and I.Q)

मानसिक आयु की अवधारणा को लाब्धि (Mental Age and I.Q)

मानसिक आयु की अवधारणा को बिने (Binet) ने विकसित किया था। मानसिक आयु का निर्धारण बच्चों की परीक्षण उपलब्धि के आधार पर किया जाता है। किसी परीक्षण में जो अंक मिलते है उन्हे मानसिक आयु के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है। किशोरावस्था के बीच में मानसिक आयु तेजी से नहीं बढ़ती है और प्रैढ़ावस्था में उसका कोई अर्थ नहीं होता है।

बुद्धिलाब्धि शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग एक र्जमन मनोवैज्ञानिक बिल हेल्स स्टर्न ने सन् 1912 ई० में किया था। 1996 ई० में स्टेनफोर्ड – बीने द्वारा प्रस्तुत किए गए कि बुद्धिलाब्धि मानसिक आयु और वास्तविक आयु के अनुपात में होता है। इस अनुपात को 100 से गुणा करके बुद्धिलाब्धि का मूल्य निकला जाता है।

बुद्धिलाब्धि (I.Q) = मानसिक आयु X 100

                         वास्तविक आयु

बुद्धि लब्धि के आधार पर ही हम व्यकितयों का वगीकरण कर सकते है। र्वमन और मैरिल ले 3184 विद्यार्मियो पर प्रयोग करके बुद्धिलाब्धि विभाजन किया।

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शिक्षा के क्षेत्र में बुद्धि – परीक्षणों का महत्व (Importance of Intelligence Test in Education Field)

बुद्धि के द्वारा ही व्यक्ति में या विद्यार्थी की सफलता और असफलता में गहरा संबध होता है। बुद्धि परीक्षणों द्वारा कमजोर बुद्धि वाले विद्यार्थियो का पाता लगाया जा सकता है। देखा गया है जिनकी बुद्धिलब्धि 70 से कम होती है वे कम बुद्धि के होता है। इस विधि का प्रयोग विभिन्न प्रकार के क्रियाओं, कार्यक्रमों – पाठ्यक्रमों में चयन के लिए भी किया जाता हैै। उदहारण के लिए : छात्रवृत्तिओं, कार्यक्रमों में चयन के लिए भी किया जाता है। जैसे  छात्रवृतियाँ प्रदान करने, उत्तरदायित्व सौंपने में, विधालय की किसी सहभागी क्रिया में विद्यार्थियो के चयन करने के लिए किया जाता है।

इस विधि द्वारा विधार्थियो का वर्गीकृत भी किया जा सकता है, इस परीक्षणों के आधार पर विद्यार्थियों को सामान्य मन्द बुद्धि,  प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के समूहों में बाँट सकते हैं। इस प्रकार से इस विधि द्वारा विद्यालय – व्यवस्था में सुधार लाया जा सकता है। इस की मदद से विशेष बच्चों के समूह का पता लगाया जा सकता है, जैसे – गूंगे, बहरे, अंधे, दुर्बल आदि।  साथ ही बच्चों को निर्देशन भी बुद्धि- परीक्षणों के आधार पर ही दिया जाता है। इस प्रकार से मानसिक स्तर के आधार पर बच्चों को पाठ्य पुस्तक के चयन की सहायता प्रदान की जा सकती है। इस की सहायता से कई शैक्षिक समस्याओं का समाधान हो जाता है।

शिक्षा में बुद्धि – परीक्षणों के लाभ (Advantage of Intelligence Tests in Education)

  1. व्यकितत्व की जानकारी
  2. शैक्षिक निदेशन में सहायक
  3. व्यवयायिक निर्देशन मे सहायक
  4. विद्यालय व्यवस्था के सुधार में सहायक
  5. विद्यार्थियों के वर्गीकरण में सहायक
  6. विद्यार्थियों के चयन में सहायक
  7. दुर्बल बुद्धि के बालको की पहचान
  8. यौन भेद का अध्ययन
  9. भविष्य वाणी में सहायक
  10. आकांक्षा – स्तर बढ़ाने मे सहायक
  11. सामाजिक अनुकूलन में सहायक
  12. अनुसंधान में सहायक
  13. विद्यार्थी की क्षमता जानने में सहायक
  14. छात्रवृतियाँ प्रदान करने में सहायक आदि

शिक्षा के क्षेत्र में बुद्धि – परीक्षणों का महत्त्व विस्तार से (Importance of intelligence Test in the Field of Education)

शैक्षणिक मार्गदर्शन (Educational Guidance)

  • विज्ञान ने और मनोविज्ञान ने मानवीय समस्याओं  के समाधान में बहुत योगदान दिया है। इस वृद्धि द्वारा बच्चों के भविष्य निर्धारण में काफी सहायता मिल रही है। शिक्षा के क्षेत्र में बुद्धि परीक्षाएँ बहुत लाभदायक सिद्ध हो रहा है।

छात्र वर्गीकरण Student’s Classification

  • बालकों को ज्ञान प्राप्त करने में बुद्धि क्षमता का सीधा प्रभाव पड़ता है। इस करण से छात्र वर्गीकरण में बुद्धि परीक्षाएँ बहुत महत्वपूर्ण है।
  • हमारे भारतीय शिक्षा व्यवस्था में सभी बच्चे एक कक्षा में अध्ययन करते है जो सामान्य से उच्च एवं सामान्य से नीचे आदि स्तरों के छात्र – छात्राएँ शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। तो अब प्रश्न यह उठाता है की सभी बच्चों का शैक्षिक विकास उत्तम हो सकेगा ? इस प्रकार से बुद्धि परीक्षण के माध्यम से शिक्षक सामान्य, सामान्य से भिन्न एवं उच्च आदि छात्रों का वर्गीकरण करके  उत्तम शिक्षा प्रदान कर सकते है।

अधिगम प्रणाली में उपयोगी ( Use in Learning System )

  • बुद्धि परीक्षणों द्वारा यह स्पष्ट हो गया है कि प्रतिभाशाली बच्चे कम समय में अधिक अधिगम एवं ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं।

 

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