CTET Paper Leak Questions

Join Now

CTET Paper Leak Questions

Join Now
---Advertisement---

वंशानुक्रम और वातावरण Heredity and Environment

By Roshan Ekka

Updated On:

Follow Us
Heredity and Environment CTET NOTES
---Advertisement---
[njwa_button id="19193"]

वंशानुक्रम और वातावरण (Heredity and Environment)

वंशानुक्रम का अर्थ (Meaning of Heredity) : जैसा कि देखा गया  है बालक को अपने माता पिता द्वारा बहुत से गुण मिलते है, माता पिता जैसे होते है उनके बच्चे भी वैसे होते है वही दूसरी ओर यह भी देखा गया  है कि बच्चे माता – पिता से अलग होते है – उदाहरण:  बुद्धि स्तर पर असमान, रंग रूप में असमान तथा शारीरिक रचना में अन्तर आदि । कई बार यह भी देखा गया है बुद्धिमान माता – पिता की संतान मूर्ख रह जाती है और अनपढ़ माता – पिता की संतान बुद्धिमान हो जाती है।

परिभाषा – आनुवंशिता ( Heridity) : बालक को आपने माता – पिता और पूर्वजों द्वारा असंख्या शारीरिक और मानसिक गुण र्गभाधान के समय वीर्य (Sperm) एवं रजकणों (Ovuma) से प्राप्त होते है उन्हे ही आनुवंशिकता या  वंशानुक्रम (heredity) की संज्ञा दी गयी है। जीव विज्ञान (Biology) के अनुसार “ निषक्त अण्ड में सम्भाव्यत: उपस्थित विशिष्ट गुणों का योग ही आनुवांशिकता है।”

साधारण शब्दों में कहा जा सकता है की वंशानुक्रम का अर्थ जैसे माता – पिता होते है वैसे ही उनकी संतान इस प्रकार से यदि माता – पिता बुद्धिमान है तो बच्चे भी बुद्धिमान होगें।

आनुवंशिकता के स्वरूप को विभिन्न विद्वानो ने परिभाषित किया है –

रु थ बेनडिक्ट ( Ruth Benedic ) के शब्दों में ‘ आनुवंशिकता माता – पिता से बच्चों में विशिष्ट गुणों का संक्रमण है।”

डालस एवं हालैण्ड ( Duglash & Halland ) के शब्दों में “ एक बालक की आनुवंशिकता में उन सभी शारीरिक संरचनाओं, विशेषताओं, क्रियाओं एवं क्षमताओं का योग निहित रहता है जिनको वह अपने माता – पिता व अन्य पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त करता है। “

अनुवंशिकता एंव वातावरण का प्रभाव ( Influence of Heredity and Environment

अनुवंशिकता एंव वातावरण को जानने सै पहले यह जानना जरूरी हैं की बालक के अध्ययन के लिए कौन मुख्य रूप से उत्तरदायी है अनुवंशिकता या पर्यावरण इस लेख द्वार हम इसके बारे में चर्चा करेंगे। वैसे यह विवाद का विषय रहा है। आनुवंशिकी विज्ञान (Gentics) द्वारा माना गया कि विकास केवल आनुवंशिकता का परिणाम है यह किसी अन्य कारक के द्वारा निर्धारित नहीं होता है। परन्तु पर्यावरणवादियों का कहना है कि जीवन को जिस प्रकार का पर्यावरण मिलता है उसी प्रकार से उसका  विकास होता है। आनुवंशिकतावादियों एंव पर्यवरणवादियों ने अपने कुछ प्रयोग तथा पक्ष रखे। अतः यह पर  सर्वप्रथम हम यह प्रयोगिक परिणाम का वर्णन करगे। आनुवंशिकतावादियों ने ज्यादातर प्रयोग और अध्ययन परिवार  ( families) तथा बहुत से जुड़वा बच्चों ( identical twiens) के बारे में अध्ययन किया है जो यह है-

गाल्टन का अध्ययन ( Galton’s Study) :

प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक गाल्टन ने 1977 में एक अध्ययन किया जिस में उन्होने यह पाया  कि वैयक्तिक भिन्नता आनुवांशिकाता का परिणाम है न कि परिवेश का प्रभाव। उन्होने ने इस अध्ययन मे इंगलैंड के उच्च कोटि के व्यक्तियों पर अध्ययन किया जिन में विद्वानों, न्यायाधीशों,राजनैतिक नेताओं, वैज्ञानिको, प्रधानमंत्री एव कवि साहित्यकार थे । इस अध्ययन में उन्होंने पया की इन सभी सुप्रसिद्ध व्यक्तियों के अधिकांश पूर्वज बुद्धिमान तथा उच्च व्यक्तित्व के थे। इस अध्ययन द्वारा यह स्पष्ट हो गया की बुद्धि तथा मानासिक योग्यताओं पर आनुवंशिकत का प्रभाव अत्यधिक होता है।

See also  शैक्षिक तकनीकी की अवधारणा Concept of Education Technology -

इस अध्ययन के बाद 977 साधारण व्यक्तियों का अध्ययन किया इस में उन्होंने पाया केवल चार व्यक्तियों के पूर्वज प्रसिद्ध और सम्पन्न पाये गये।

इन दोनो अध्ययन द्वारा ( सुप्रसिद्ध व्यक्तियों पर प्रयोग व साधरण व्यकितयों पर प्रयोग ) यह  सिद्ध हो गया की व्यक्तियों में जो व्यक्तिक भिन्नता पायी जाती है उसका का संबंध आनुवंशिकता का परिणाम है न ही परिवेश का प्रभाव।

डगडेल का अध्ययन : “ जिस परिवार के पूर्वज मन्द बुद्धि के पाए जाते हैं या होते है, उनकी सन्तान भी मन्द बुद्धि ही होगी। “ डगडेल ने अपने इस अध्ययन में ज्यूक्स (Jukes) नामक परिवार का अध्ययन किया। जो एक आवारा और अशिक्षित व्यक्ति था। और उन्होंने एक बाजारू स्त्री से विवाह किया। उनका जन्म 1720 ई० में था, 1877 ई० तक आते आते उनके परिवार की संख्या लगभग 1200 व्यक्ति हुए इसमें थे :-

हत्यारे – 7, अपराधी – 130, चोर – 60, चरित्रहीन स्त्री – 50, भिखमंगे – 310

फिर इस के बाद डागडेल ( Dugdal ) ने 1915 पुन्हा उस परिवार का अध्ययन किया और पाया कुध परिवार के लोग  अपने मातृ स्थान से कही और जा कर बस गये थे, फिर भी उन्होने यह देख की उनमें मे सभी विशेषाएं मौजूद थीं।

जुड़वाँ बच्चों का अध्ययन ( Twin Children Study )

बुद्धि और विकास पर वंशानुक्रम को समझने में जुड़वाँ बच्चों के अध्ययन बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ इस अध्ययन द्वारा पाता चाला जुड़वा बच्चे दो प्रकार के होते हैं – समान जुड़वाँ बच्चे ( identical twins ) तथा साधारण जुड़वाँ बच्चे ( fraternal twins ) इस अध्ययन में हम जुड़वा बच्चों पर किए गए विभिन्न प्रयोगों को देखेंगे –

इस का अध्ययन तीन प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक ने किया जिनके नाम है – न्यूमैन ( Newman), हाँलजिंगर ( Holzinger ) तथा फीमैन ( Freeman ) इन सभी मनोवैज्ञानिक ने बुद्धि और विकास पर वुशानुक्रम के प्रभाव को जानने के लिए दो प्रकार के समान जुड़वाँ बच्चों ( identical twins ) का अध्ययन किया।

इस अध्ययन में कुछ ऐसे बालक थे जिनका लालन पालन एक ही साथ हुआ और कुछ ऐसे बालक जिनका लालन पालन विभिन्न वातावरण में हुआ। इस अध्ययन मे उन्होने दोनो प्रकार के समान जुड़वा बच्चों की बुद्धि लब्धि की जाँच किया और यहाँ निष्कर्ष निकला कि एक साथ पलने वाले बच्चों की बुद्धि – लब्धि में पाँच या छः ईकाइयों का अन्तर था जबकि दूसरे जिनका लालन पालन अलग अलग वातावरण में हो रहा था बच्चों की बुद्धि – लब्धि में आठ या नौ का अन्तर था।

इस अध्ययन से यह पाता चलता है कि बुद्धि लब्धि पर वातावरण का बहुत ही कम प्रभाव पड़ा बल्कि

वंशानुक्रम के कारण ही उन बच्चों की बुद्धि में अत्य अधिक समानता देखाने को मिला।

गेसेस (Gesell) तथा टाँम्पसन (Thompson) के अध्ययन द्वारा भी यह समने आता है कि बुद्धि – विकास पर वंशानुक्रम का अत्य अधिक प्रभाव पड़ता है। उन्होने अपने अध्ययन में समान जुड़वा बच्चों का अध्ययन किया और पाया कि उनकी शारीरीक  रूप रेखा तथा बुद्धि में काफि समानता थी।  शुरुआत में यह समानता अधिक होती है, लेकिन आयु के बढ़ाने से उसमें कुध कमी हो जाती है। इन करणो द्वार गेसेस तथा टाँम्पसन इस निष्कर्ष मे पहुचे की जुड़वाँ बच्चों की बुद्धि – लब्धि की यह समानता वंशानुक्रम ( आनुवंशिकता ) के कारण है न कि वातावरण के कारण जो इस प्रयोग द्वारा  सिद्ध हो गया।

See also  भारतीय शिक्षा पर गांधीवादी दर्शन का प्रभाव तथा महात्मा गांधी की बुनियादी शिक्षा पर क्या विचारधारा थी । 

जुड़वा बच्चों का अध्ययन शवेंसिगर (Schwasinger) द्वारा : उन्होने इस अध्ययन में दोनो प्रकार के बच्चों पर अध्ययन किया जो थे ( समरूप जुड़वा बच्चे तथा बंधु यमज ) उन्होंने 10 जोड़ो का अध्ययन किया। दोनो जोड़ो के प्रत्येक सदस्य को अलग – अलग वातावरण में  पालन पोषण किया गया और इन बच्चों के बड़े होने पर दोनो का एक तुलनात्मक (Comparative) अध्ययन किया गया इस अध्ययन द्वारा पाया गया दोनो प्रकार के बच्चों की बुद्धि लब्धि (Intelligence quotient /IQ ) में कोई अन्तर  नही पाया गया, पाया गया भी तो बहुत कम अन्तर था। इस अध्ययन द्वारा वंशानुक्रम के महत्व को बल मिला ।

वंशानुक्रम को कुध विद्वानो ने कई परिभाषाओं द्वारा स्पष्ट किया। इसके द्वारा हम किसी निष्कर्ष पर पहुंच सकते है।

जीव शास्त्रीयों के अनुसार : “ निषेचित अंड में उपस्थित विशिष्ट गुणो का योग ही वंशानुक्रम है “

वुडवर्थ के अनुसारः ‘ वंशानुक्रम में से सभी कारक शामिल है जो जीवन शुरू करते समय बालक में विद्यामान थे। अर्थात जन्म के समय नहीं  बल की गर्भ धारण करते समय  जन्म से लगभग नौ माह पहले “

रूथ बेनेडिक्ट के अनुसार : “ माता – पिता से संतान को हस्तान्तरित होने वाले गुणो को वंशानुक्रम कहते है।

“उपरोक्त सभी परिभाषाओं से यह निष्कर्ष निकला जा सकता है कि प्रजनन प्रक्रिया द्वारा माता पिता से बच्चों को हस्तांतरित होने वाले गुणों को वंशानुक्रम कह सकते है। “

वंशानुक्रम की प्रक्रिया ( Process of heredity ): वंशानुक्रम की प्रक्रिया का  संबन्ध प्रजनन से है। जो कि स्त्री व पुरुष के मिलन अथवा मैथून ( mating ) की क्रिया से  संभव होता है। जिस में स्त्री और पुरुष के जनन अंग (Reproductive organs) आपस में मिलते है। और इस प्रक्रिया द्वारा उत्पादक कोशिकाएँ का निर्माण होता है। स्त्री की उत्पादक कोशिका को (Ovam) बोला जाता है, और पुरुष की कोशिका को (Sperm) वीर्य बोला जाता है, जो कि संख्या में हजारों मे होंती है जबकि रजो की संख्या एक मासिक धर्म में एक ही होती है पर फिर भी कभी कभी इन की संख्या एक से अधिक भी हो सकती है।

इस मैथून क्रिया के दौरान जनन अंगो के मिलने से गर्भाशय ( utarns ) के द्वार पर हजारो की संख्या में Sperm या वीर्य पड़े रहते है जो की मातृसूत्र  Ovum तक पहुँचने का प्रयास करते है। इस संपूर्ण कार्य में एक ही पितृसूत्र या Sperm Ovum तक पहुँच पाता है। और जो Ovum तक पहुच कर निषेचित (Fertilizer) करता है। जो कि निषेचित रच ( Zygot) कहलाता है। इस प्रकार निषेचित होना ही गर्भधारण होना कहलता है। जो कि एक जीवन को जन्म देती है। जो कि चित्र के माध्यम से देखे : एक निषेचित अंड में गुणसूत्रो की  23 जोड़े पाये जाते है जिनमें आधे – पिता के व आधे माता के होते है।

जीवशास्त्रीयो के अनुसारः “ निषिक्त अण्ड में सम्भावित विद्यमान विशिष्ट गुणों का योग ही आनुवंशिकता है।”

वंशानुक्रम के नियम (Laws of Heredity) : वंशानुक्रम के नियमो को अलग अलग विद्वानो ने भिन भिन प्रकार से बताया है जिन में मैंडल (Mendal) द्वारा वर्णत नियमों को सबसे अधिक प्रमुखता मिली।

  • समान – समान को जन्म देता है – इस नियम के अनुसार माता – पिता जिसे होते है उनकी संतान भी वैसी ही होगी यदि माता -पिता बुद्धिमान है तो उनकी संतान भी बुद्धिमान होगी और यदि माता – पिता कद में छोटे होगी तो उन की संतान भी छोटे कद के होगे, और रंग में काले आथव सावले तो बच्चे भी वैसे ही होगे। इस नियम को परखने के बाद यह पाता लगा कि इस नियम का सामान्यीकरण (Generalization) नहीं कर सकते, क्योकि कभी कभी यह भी देखा गया है। सुन्दर माता पिता के बच्चे सुन्दर नही होते, तथा कुरूप माता – पिता के बच्चे सुन्दर पैदा होते हैै।
  • भिन्नता का नियम (Law of variation ) : इस नियम के अनुसार यह सिद्ध हुआ संतान बिल्कुल माता – पिता की हमशक्ल या समान नहीं होते है उनमें भिन्नता होने पर भी वह वंशानुक्रम से प्रभावित माने गये। इस नियम द्वारा यह पाता लगा कि ये दोनो नियम एक दूसरे के  विरोधी है, इस लिये मैडल ने तीसरा नियम बताया।
  • प्रत्यागम का नियम (Law of Regression) : सर्व प्रथम इस सिद्धांत का प्रतिपादन सोरेन्सन ने किया। इस सिद्धांत को फिर मैडल ने अपनाया। सोरेन्सन ने इसको स्पष्ट करते हुए कहा कि तीव्र बुद्धि वाले माता – पिता के बच्चे का तीव्र बुद्धि वाली और प्रतिभाशाली माता – पिता के बच्चे कम प्रतिभाशाली होने की प्रवृति वही प्रत्यागम कहलती है।
See also  स्पीयरमेन का द्विकारक सिद्धांत Spearman’s Two Factor Theory

यहाँ तीन नियम शिक्षा मनोविज्ञान की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है इस नियम द्वारा अध्यापक बालक की प्रवृत्ति और उसका स्तर जानने के लिए वंशानुक्रम के यहाँ तीन नियमो की मदद से बालको की प्रवृति को  आसानी से समझ सकते है, जिसके मदद से अध्यापक बालक के प्रवृति को आसानी से समझ सकते हैं। और इस के मध्यम से बालक के व्यक्तित्व को समझ जा सकता है जा सकता है और इसका विश्लेषण करके परिणामों तक पहुंच सकता है।

Mock Test 

महत्वपूर्ण लेख जरूर पढ़ें:

यह भी पढ़ें

[njwa_button id="19193"]

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

प्रिय पाठको इस वेबसाइट का किसी भी प्रकार से केंद्र सरकार, राज्य सरकार तथा किसी सरकारी संस्था से कोई लेना देना नहीं है| हमारे द्वारा सभी जानकारी विभिन्न सम्बिन्धितआधिकारिक वेबसाइड तथा समाचार पत्रो से एकत्रित की जाती है इन्ही सभी स्त्रोतो के माध्यम से हम आपको सभी राज्य तथा केन्द्र सरकार की जानकारी/सूचनाएं प्रदान कराने का प्रयास करते हैं और सदैव यही प्रयत्न करते है कि हम आपको अपडेटड खबरे तथा समाचार प्रदान करे| हम आपको अन्तिम निर्णय लेने से पहले आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करने की सलाह देते हैं, आपको स्वयं आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करके सत्यापित करनी होगी| DMCA.com Protection Status