नमस्कार दोस्तों आज हम इस लेख में आपको राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य के बारे में और लक्ष्य के बारे में चर्चा करेंगे यह लेख या नोट आपको आने वाले सीटेट एग्जाम की तैयारी में काफी ज्यादा हेल्प करेगा आशा है आपको यह लेख जरूर पसंद आएगा । राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का अभिप्राय उस शिक्षा प्रणाली से है जो किसी भी राष्ट्र की आकांक्षाओं मूल्यों तथा उद्देश्य के अनुसार हो ।
अन्य शब्दों में हम कह सकते हैं कि जो शिक्षा प्रणाली किसी भी राष्ट्र के संविधान में बताए गए दिशा निर्देश के अनुसार उस देश के सामाजिक सांस्कृतिक आर्थिक राष्ट्रीय तथा भावनात्मक एकता की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है | वही राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली कहलाती है । हमारे देश की राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का विकास दो चरणों में हुआ है ।
प्रथम चरण सन 1947 से सन 1966 तक माना गया है और द्वितीय चरण सन 1947 से सन 1986 तक माना गया है।इस काल में बेसिक शिक्षा, विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग का गठन माध्यमिक शिक्षा आयोग की स्थापना शिक्षा आयोग का गठन कोठरी आयोग आदि कुछ महत्वपूर्ण आयोगों ने शिक्षा के क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए है । इस संदर्भ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1980 सिक्स के अनुसार शिक्षा के निमित्त लिखित उद्देश्य निर्धारित किए गए –
राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली से क्या अभिप्राय है तथा राष्ट्रीय शिक्षा की आवश्यकता महत्व तथ्यों का वर्णन :
राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का अर्थ – राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का अर्थ वह प्रणाली है जो किसी देश अथवा राष्ट्र की आवश्यकताओं मूल्य लक्ष्य तथा उद्देश्यों के अनुसार शिक्षा देने में समर्थ हो । एक उत्तम राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली किसी भी राष्ट्र के नागरिकों को उस राष्ट्र की आकांक्षाओं आवश्यकताओं मूल्यों तथा उद्देश्यों के अनुसार शिक्षित करने के साथ-साथ उनमें राष्ट्रीय और भावनात्मक एकता का विकास करती है तथा राष्ट्र से संबंधित लक्ष्यों को प्राप्त करने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है इसके अतिरिक्त एक अच्छी राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली राष्ट्र के लोगों के सभी प्रकार के भेदभाव तथा प्रांतीय सक्रियता का नाश करती है तथा साथ ही राष्ट्र के नागरिकों में राष्ट्रीय सुरक्षा की भावना तथा अनुशासन का निर्माण करती है ।
राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता और महत्व –
- राष्ट्रीय भावना का विकास – राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली देश के नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना तथा अनुशासन की भावना का विकास करती है और उन्हें देश सेवा के लिए तैयार करती है ।
- भाईचारे की भावना का विकास – एक उत्तम राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली देश के लोगों में भाईचारे की भावना उत्पन्न करती है और उनमें भावनात्मक एकता विकसित करती है । यही कारण है कि हमारे देश में विभिन्न धर्मों के लोगों के होते हुए भी उनमें एकता की भावना है ।
- त्याग की भावना – राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली देश के नागरिकों में अपने देश के नागरिकों के लिए त्याग की भावना विकसित करती है जब-जब राष्ट्र पर कोई विपत्ति आती है हमारे देश के लोग मिलकर उसका सम्मान करते हैं ।
- सामाजिक धार्मिक भावनात्मक एकता का विकास – हमारे देश को राष्ट्रीय प्रणाली देश के नागरिकों में सामाजिक धार्मिक तथा भावनात्मक एकता का विकास करती है इससे हमारे देश की लोकतांत्रिक शासन प्रणाली दृढ़ होती है |
- उत्तम गुणों का विकास – कोई भी देश तभी उन्नति कर सकता है यदि उसके नागरिकों में उत्तम गुणों का विकास हो । राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली इस दिशा में विशेष प्रयास करती है ।
- योग्य नेतृत्व – राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली इस प्रकार के नागरिकों को तैयार करती है, जिसमें कुशल और योग के नेतृत्व की क्षमता हो । ऐसे नागरिक ही कुशलता पूर्वक देश को आगे ले जा सकते हैं ।
- अनुशासन की भावना – एक उत्तम राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली देश के नागरिकों में अनुशासन की भावना विकसित करती है बच्चे अनुशासन का पाठ पढ़ कर ही भावी जीवन के सफल नागरिक बन सकते हैं ।
- राष्ट्रीय सुरक्षा की भावना – राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली नागरिकों में सभी प्रकार के भेदभाव को बुलाकर उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा की भावना का विकास करती है ।
- संकीर्ण भावनाओं का विनाश – राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली देश के नागरिकों में भाषागत, प्रांतीय तथा धार्मिक संकीर्णता का अंत करके उन्हें सफल नागरिक बनाती है और वे संपूर्ण राष्ट्र के कल्याण के लिए प्रयास करने लगते हैं ।
- समानता की भावना – राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली देश के सभी वर्गों में समानता की भावना उत्पन्न करती है और ऊंच-नीच आदि मतभेदों ऊपर से उठने की प्रेरणा देती है ।
राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के तत्व :
राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के मुख्य तत्व इस प्रकार है –
- शिक्षा की संरचना – राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का मुख्य तत्व यह है कि देश के सभी राज्यों में शिक्षा की संरचना एक जैसी होनी चाहिए ताकि लोगों में प्रांतीय ताकि भावना समाप्त हो सके ।
- शिक्षा का माध्यम – देश के राष्ट्रीय भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाया जाना चाहिए ताकि भाषागत प्रांतीय ता समाप्त हो सके और राष्ट्रभाषा को बल मिल सके ।
- छात्रों की वर्दी – एक यह भी विचार व्यक्त किया जा रहा है कि देश के सभी राज्यों के स्कूलों में विद्यार्थियों की भर्ती एक जैसी हो ताकि प्रांतीय मतभेद समाप्त हो सके ।
- राष्ट्रीय गान का प्रयोग – देश के सभी स्कूलों तथा आरंभ राष्ट्रीय गान होना चाहिए ताकि विद्यार्थियों में देश प्रेम की भावना उत्पन्न हो सके ।
- राष्ट्रीयता का विकास – विद्यार्थियों में राष्ट्रीय ध्वज राष्ट्रीय चिन्ह राष्ट्रीय गान आदि के प्रति आदर भाव की भावना उत्पन्न की जानी चाहिए ।
- प्रवेश में योग्यता तथा कुशलता का महत्व – शैक्षिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए जाति धर्म वर्ग तथा धन के स्थान पर छात्रों की योग्यताओं तथा कुशलता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ।
- राष्ट्रीय पाठ्यक्रम – देश के सभी विद्यालयों में एक राष्ट्रीय कोर पाठ्यक्रम लागू किया जाना चाहिए ।
- एक ही लिपि के प्रयोग पर बल – देश के सभी भागों के सभी विद्यालयों में एक ही प्रकार की भाषा लिपि का प्रयोग किया जाना चाहिए ताकि राष्ट्रीय एकता को बल मिल सके ।
- विभिन्न उत्सवों का आयोजन – देश के सभी धर्मों के मुख्य उत्सव का आयोजन किया जाना चाहिए । सभी विद्यार्थियों को इस में भाग लेना चाहिए । इससे राष्ट्रीय एकता को बल मिलेगा ।
- यात्राओं का आयोजन – देश के विद्यार्थियों तथा अध्यापकों को यात्राओं का आयोजन करने का अवसर दिया जाना चाहिए, ताकि एक प्रांत के अध्यापक तथा छात्र तथा दूसरे प्रांतों में जाकर वहां की सभ्यता, भाषा, संस्कृति आदि की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकें ।
- एक ही प्राथमिक शिक्षा का प्रयोग – पूरे देश में एक ही प्राथमिक शिक्षा लागू की जानी चाहिए और सभी विद्यार्थियों को उसे ग्रहण करने का अवसर मिलना चाहिए ।
- पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय नेताओं का समावेश – विद्यार्थियों के लिए जो भी पाठ्यक्रम तैयार किया जाता है उसमें राष्ट्रीय नेताओं एवं समाज सुधारकों के जीवन की पर्याप्त सामग्री को सम्मिलित किया जाना चाहिए ।
सारांश – अतः कहा जा सकता है कि शिक्षा किसी भी देश के राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने तथा देश की एकता एवं अखंडता को बनाए रखने और देश के नागरिकों में राष्ट्रीय अनुशासन की भावना विकसित करने में अहम भूमिका निभाती है । इसी कारण से प्रत्येक राष्ट्रीय अपनी समाजिक, धार्मिक, संस्कृतिक तथा राजनीतिक अभिव्यक्ति के लिए अपनी राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का विकास करता है ।
निष्कर्ष – प्रिय बात को आशा है यह लेख जोगी सीटेट में पूछे गए प्रश्नों के आधार पर लिखा गया है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1966 के अनुसार शिक्षा के क्या उद्देश्य थे तथा क्या लक्ष्य थे आशा है आपको यह लेख जरूर पसंद आया होगा धन्यवाद।
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