शिक्षा सहायक सामग्री Teaching Sahayak Samagri (Teaching Aids) :
अध्यापक को अपने शिक्षण को रोचक तथा प्रभावशाली बनाने के लिए कई प्रकार के साधनों का प्रयोग करना पड़ता है वहीं साधन अधिक उपयोगी होते हैं जो छात्रों को सीखने के लिए अधिक अनुभव प्रदान करें क्योंकि अपने अनुभवों से छात्र जल्दी सीखते हैं।
कहावत के अनुसार एक बार देखना 100 बार सुनने हुए से अच्छा होता है।
अभिप्राय (Meaning)
शिक्षण सहायक सामग्री से अभिप्राय उन श्रव्य दृश्य साधनों से है जिनके द्वारा छात्रों को ज्ञानेंद्रियों आंख तथा कान को अधिक सक्रिय बनाकर उनके लिए विशेष सामग्री को अधिक सुबोध रोचक तथा प्रभावशाली बनाया जाता है। इन साधनों को सहायक साधन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनका प्रयोग शिक्षण में वहीं पर किया जाता है जहां पर इनकी आवश्यकता होती है, अर्थात ये साधन शिक्षण प्रक्रिया में सहायक की भूमिका निभाते हैं। अतः अध्यापक द्वारा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सरल रोचक तथा प्रभावशाली बनाने के लिए जिन श्रव्य-दृश्य साधनों का प्रयोग किया जाता है, उसे हम शिक्षण सहायक साधन कहते हैं।
परिभाषाएं:-
- डेंट का मत है, ” श्रव्य दृश्य सामग्री वह है जो कक्षा में यह अन्य शिक्षण परिस्थितियों में लिखित या बोली गई पाठ्य सामग्री को समझने में सहायता करती है। “
- शिक्षा परिभाषा कोष के अनुसार, ” सीखने की प्रक्रिया में सहायक देखने सुनने के साधन जैसे चार्ट मॉडल टेप रिकॉर्डर, चलचित्र या चित्र आदि को श्रव्य दृश्य साधन कहते हैं। “
इस प्रकार इन परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि जो साधन पाठ्य सामग्री को समझने में छात्रों की सहायता करते हैं, उन्हें शिक्षण सहायक साधन कहा जाता है।
वर्गीकरण
शिक्षण सहायक साधनों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है –
1.प्रक्षेपी साधन (Projective Aids): प्रक्षेपी साधनों में दृश्य साधन वर्ग के साधन या उपकरण शामिल किए जाते हैं। जिन्हें किसी वस्तु अथवा प्रक्रिया को पर्दे के ऊपर प्रक्षेपित चित्र के रूप में दिखाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के साधन है –
- फिल्म पटिया (Film Strips)
- मूक चलचित्र (Silent Picturesa)
- माया दीप (Magic Lantern)
- सूक्ष्म प्रक्षेपी (Micro Projector)
- शिरोपरि प्रक्षेपी ( Over Head Projector)
2.गैर – प्रक्षेपी साधन ( Non Protective Aids) : गैर-प्रक्षेपी साधन वे साधन होते है जो बिना किसी प्रक्षेपण के प्रत्यक्ष रूप से हमें प्रभावित करते हैं। ये साधन निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं –
¡) दृश्य साधन (Visual Aids) : जिन्हें केवल देखा जा सके जैसे –
¡)माँडल (Model)
¡¡) चार्ट (Chart)
¡i¡) चित्र (Picture)
¡v) मानचित्र (Map)
V) ग्राफ (Graph)
Vi) ग्लोब (Globe)
Vii) ब्लैकबोर्ड (Black Board)
Viii) बुलेटिन बोर्ड ( Bulletin Board)
¡¡) श्रव्य साधन (Audio Aids) – ये वे साधन होते है जिन्हें केवल सुना जा सके जैसेः
- रेडियो (Radio)
- टेप रिकार्डर (Tape Recorder)
¡¡¡) दृश्य – श्रव्य साधन (Audio -Video Aids) – ये वे साधन होते हैं जिन्हें देखने के साथ-साथ सुना भी जा सकता है जैसेः
- टैलीविजन (Television)
- कम्प्यूटर (Computer)
- बोलते चलचित्र ( Sound Motion Pictures)
3.क्रियात्मक साधन (Activity Aids) – ये वे साधन हैं जिनके द्वारा देखने और सुनने के अतिरिक्त करके सिखाया जाता है जैसे –
¡) भूमिका निभाना ( Role Playing)
¡¡) प्रयोगशाला में काम करना ( Working in a Laboratory)
¡¡¡) संग्रहालय (Museum)
Iv) भ्रमण (Tours)
V) प्रदर्शनिया (Exhibitions)
(Indications Line to be set here )शिक्षण सहायक सामग्री का महत्व
- अभिप्रेरणा के लिए :- किसी भी कार्य को सीखने के लिए अभिप्रेरणा को आधारशिला माना जाता है। शिक्षण सहायक सामग्री अभिप्रेरणा का सर्वोत्तम स्रोत है, क्योंकि अध्यापक जैसे ही शिक्षण सहायक सामग्री लेकर कक्षा में प्रवेश करता है छात्रों में उन्हें देखने की उत्सुकता पैदा हो जाती है।
- नवीनता :- शिक्षण सहायक सामग्री के द्वारा पढ़ने के दंगों में नवीनता तथा विकास आता है।
- ध्यान केंद्रित करना :- विद्यार्थियों का ध्यान केंद्रित करने वाला ही अध्यापक सफल अध्यापक है बच्चों के मन की चंचलता के कारण शिक्षण सहायक सामग्री छात्रों का ध्यान केंद्रित करने की विधि है।
- शिक्षण में कुशलता :- शिक्षण सहायक सामग्री शिक्षण में कुशलता की भावना का विकास करती है जिसके उपयोग से शिक्षक में कुशलता तथा आत्मविश्वास पैदा होता है।
- शब्द भंडार में विधि :- शिक्षण सहायक सामग्री के द्वारा बच्चों को नए नए शब्द प्राप्त होते हैं। जिनसे उसके शब्द भंडार में वृद्धि होती है।
- रटने की प्रवृत्ति में कमी:- शिक्षण सहायक सामग्री की सहायता से विद्यार्थी रटने की अपेक्षा पाठ्यक्रम को सीखने में समझने की कोशिश करते हैं जिससे उसमें रटने की प्रवृत्ति में कमी होती है।
- विषय को रोचक बनाना :- शिक्षण सहायक सामग्री द्वारा पढ़ने से विषय में रोचकता आती है।
- स्थायी ज्ञान :- शिक्षण सामग्री द्वारा पढ़ने से स्थाई ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- समय और शक्ति की बचत :- शिक्षण सामग्री द्वारा पढ़ने से समय और शक्ति की बचत होती है।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास :- इसमें बच्चों का दृष्टिकोण वैज्ञानिक बनता है।
- पिछड़े बालकों को सहायता:- शिक्षण सामग्री द्वारा पढ़ने से पिछड़े बालकों को सीखने का सहायता मिलती है।
- निरीक्षण शक्ति का विकास:- शिक्षण सामग्री द्वारा पढ़ने से बच्चों में निरीक्षक शक्ति का विकास होता है।
- विद्यार्थियों को सक्रिय बनाने में सहायक :- शिक्षा सामग्री द्वारा पढ़ने से विद्यार्थी कक्षा में सक्रिय रहते हैं।
निष्कर्ष:- शिक्षण सहायक सामग्री में उपयोग किए जाने वाले साधन शिक्षण को आसान बनाते हैं और इन द्वारा विद्यार्थी भी ज्ञान आसानी से प्राप्त कर लेते हैं। शिक्षण सहायक सामग्री बच्चों के सर्वपक्षीय विकास करने में सहायक है क्योंकि इसमें बच्चे प्रयोग द्वारा सीखते हैं, इसलिए शिक्षण सहायक सामग्री समाजिक अध्ययन में बहुत उपयोगी है।
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