CTET Paper Leak Questions

Join Now

CTET Paper Leak Questions

Join Now
---Advertisement---

विज्ञान पढ़ने के लिए स्थानीय संसाधनों का प्रयोग कैसे करे ? CTET NOTES

By Roshan Ekka

Published On:

Follow Us
USE-OF-RESOURCES-CTET-NOTE
---Advertisement---
[njwa_button id="19193"]

नमस्कार दोस्तों आज के लेख में हम आपको संसाधनों का उपयोग (Use Of Resources) विज्ञान पढ़ने के लिए स्थानीय संसाधनों का प्रयोग कैसे होता है,साथ ही साथ शिक्षक सहायक की आवश्यकता एवं महत्व का विस्तार पूर्वक वर्णन भी करेंगे चलिए जानते हैं शिक्षण सामग्री का उपयोग कैसे किया जाता है । 

शिक्षण – सामग्री का उपयोग : विज्ञान विषय पाठ को अधिक सरल बनाने के लिए तथा अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए स्थानीय संसाधानो का प्रयोग किया जाता है । विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसको केवल भाषण देकर बच्चों को नही सिखाया जा सकता है। स्थानीय संसाधान होते हैं उपकरण होते हैं जो स्थानीय स्तर पर आसानी से उपलब्ध हो सकता है । 

संसाधानो का वगीकरण 

विज्ञान शिक्ष्ण में स्थानीय संसाधनों को निम्नलिखित चार भागो में बाँटा जा सकता है- 

  1. दृश्य सामग्री 
  2. श्रव्य सामग्री 
  3. दृश्य श्रव्य सामग्री
  4. क्रिया सहायक सामग्री 

 

  1. दृश्य सामग्री – ऐसे सामग्री में ऐसे स्थानीय संसाधान होते हैं जिनको बच्चें देखने से ही सीखते हैं । श्यामपट्ट, चित्र चार्ट ग्राफ नक्शे मॉडल आदि दृश्य सामग्री के उदाहरण है । 
  2. श्रव्य सामग्री – इस सामग्री में ऐसे स्थानीय संसाधन होते हैं जिन्हें बच्चे सिर्फ सुनने मात्र से ही सीखते हैं । रेडियो, टेपरिकॉर्डर, ग्रामोंफोन भाषण आदि श्रव्य सामग्री के उदाहरण है । 
  3. दृश्य श्रव्य सामग्री – इस सामग्री में ऐसे स्थानीय संस्थान होते हैं जिनको बच्चे देख भी सकते हैं तथा सुन भी सकते हैं । दूरदर्शन, बोलती फिल्में, नाटक, फिल्म स्ट्रिप प्रदर्शन आदि दृश्य – श्रव्य सामग्री के उदाहरण हैं । 
  4. क्रिया सम्बन्धी सामग्री – इस तरह के संसाधनों मे छात्रों तथा अध्यापकों की सम्मिलित क्रियाएँ होती है । इन क्रियाओं द्वारा विज्ञान सम्बन्धी सामग्री के उदाहरण है। 
See also  Child Development and Pedagogy - Quiz 99

 स्थानीय संसाधनो के प्रयोग की आवश्यकता – विज्ञान विषय को रोचक तथा सरल बनाने के लिए स्थानीय संसाधनों का प्रयोग करना अति आवश्यक है ।

शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में स्थानीय संसाधनो का अत्यंत महत्व है। 

  1. स्थानीय संसाधन बालकों तथा अध्यापकों को स्थाई रुप से सीखने व समझने में मदद करते हैं। इनसे समय की बचत होती है और जो ज्ञान प्राप्त होता है, वह प्रभावशाली होता है 
  2. ये संसाधन अनुभवों द्वारा ज्ञान प्रदान करते हैं जिससे बालकों को तथ्यों, सिद्धान्तों तथा नियमों का स्पष्ट ज्ञान मिलता है, जो उनको कठिन पाठों को समझने में सहायक होता है । 
  3. इनसे छात्र और अध्यापक दोनों का ही ध्यान एक स्थान पर लगा  रहता है । 
  4. स्थानीय संसाधानो द्वारा बालकों को सजीव नमुने, ठोस वस्तुएं तथा उपकरणों को प्रयोग करने से तथा प्रदर्शन को देखने से और स्वयं प्रयोग करने से उन्हें सीधा अनुभव प्राप्त होता है जो उन्हें सरलता से याद हो जाता है और उनके मस्तिष्क में भी स्थाई हो जाता है । 
  5. स्थानीय संसाधनो द्वारा बालक पेचीदा और सूक्ष्म बातों व बारीकियों को आसानी से समझ जाते हैं। इस तरह गूढ़ता से देखने और समझने मे उनकी कल्पना – शक्ति तथा विचार – शक्ति में वृद्धि हो जाती हैं। 
  6. कक्षा में स्थानीय संसाधन दिखाने से छात्रों को खुशी होती है तथा कक्षा की नीरसता समाप्त हो जाती है। बालक “फिल्म या स्लाइड देखने के बाद प्रसन्नचित दिखाई देते हैं उनमें विज्ञान के प्रति उत्सुकता बढ़ती है । 
  7. स्थानीय संसाधनों को देखने से बालकों की ज्ञानोन्द्रियो को प्रेरणा मिलती है और उनमें वैज्ञानिक वृत्तिका विकास होता है । 
  8. इनके द्वारा उन्हें वस्तुओं को प्रत्यक्ष देखने का अवसर मिलता है । जिसके कारण बालक पढ़ने में रुचि अधिक लेते है । 
  9. स्थानीय संसाधनो के प्रयोग से छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने तथा वैज्ञानिक विधि प्रशिक्षण प्राप्त करने में सहायता मिलती है । 
  10. इनके द्वारा प्रकृति एवम् सार्थक सम्बन्ध स्थापित करने में सहायता मिलती है, जिससे व्यक्ति शुद्ध चिन्तन की ओर अग्रसर होता है । 
  11. इसके द्वारा बालकों में विभिन्न विषयों में अन्वेषण के प्रति उत्सुकता पैदा होती है । उनकी भाषा सम्बन्धि कठिनाइया भी हो जाती हैं। 
  12. अध्यापकों को इस तरह की सामग्री बड़ी सहायक होती है क्योंकि उनकों विज्ञान शिक्षण की क्रिया में मदद मिलती है, जो अधिक सार्थक तथा उपयोगी सिद्ध होती है । 
  13. इनके प्रयोग से एक ही समय में अधिक छात्रों का पढ़ाया जा सकता है और प्रयोगों द्वारा आसानी से समझाया भी जा सकता है । 
  14. इनके प्रयोग से छात्रों में स्वयं कार्य की क्षमता का विकास होता है, वे स्वय आत्मनिर्भर बनते हैं और अपने को अधिक योग्य एवं साधन सम्पन्न समझने लगते हैं । इससे उनकें उत्साह में वृद्धि होता है। 
See also  LEARNING OBJECTIVES-अधिगम उद्देश्य - D.El.Ed Notes
[njwa_button id="19193"]

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

प्रिय पाठको इस वेबसाइट का किसी भी प्रकार से केंद्र सरकार, राज्य सरकार तथा किसी सरकारी संस्था से कोई लेना देना नहीं है| हमारे द्वारा सभी जानकारी विभिन्न सम्बिन्धितआधिकारिक वेबसाइड तथा समाचार पत्रो से एकत्रित की जाती है इन्ही सभी स्त्रोतो के माध्यम से हम आपको सभी राज्य तथा केन्द्र सरकार की जानकारी/सूचनाएं प्रदान कराने का प्रयास करते हैं और सदैव यही प्रयत्न करते है कि हम आपको अपडेटड खबरे तथा समाचार प्रदान करे| हम आपको अन्तिम निर्णय लेने से पहले आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करने की सलाह देते हैं, आपको स्वयं आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करके सत्यापित करनी होगी| DMCA.com Protection Status