UPSC Free Mock Test Science दोस्तों , आप लोगो द्वारा बहुत से Request मिल रहे थे उसी को ध्यान मे रखते हुए हमारी Team – www.AllGovtJobsIndia.in आज आपके लिये UPSC IAS MOCK TEST-1 Questions Science – लेकर आये है जो आप के सिविल सेवा परीक्षा (Civil Service Exam) की तैयारी के लिये बहुत लाभदायक है। इस Mock Test मे विज्ञान से महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे जा रहे है जो बहुत ही Importan है, UPSC IAS की Exam के लिए।
Name: UPSC IAS Mock Test Science
Subject: Science विज्ञान
Questions: 10 Objective Type Questions
Time Allowed: 06 Minutes
Helpful for: यूपीएससी( UPSC) सिविल सर्विसेज प्रारंभिक परीक्षा, उत्तराखंड पीसीएस (PCS), MPPSC मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग प्रारंभिक प्रारंभिक परीक्षा, छत्तीसगढ़ पीसीएस (PCS) लोक सेवा आयोग (प्रारंभिक) परीक्षा, उत्तर प्रदेश पीसीएस (PCS) लोक सेवा आयोग प्रारंभिक परीक्षा,बिहार लोक सेवा आयोग(बीपीएससी),झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी), राजस्थान (RPSC)लोक सेवा आयोग प्रारंभिक परीक्षा, हरियाणा (HPSC)लोक सेवा आयोग प्रारंभिक परीक्षा, हिमाचल PSC लोक सेवा आयोग प्रारंभिक परीक्षा.
PSC IAS MOCK TEST -1
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Question 1 of 10
1. Question
1 points1.निम्नलिखित में से किस एक प्रकार की तंरगों का प्रयोग रात्रि दृष्टि उपकरण ( Night Vision apparatus ) में किया जाता है?
Correct
व्याख्या: अवरक्त तरंग का प्रयोग रात्रि दृष्टी उपकरण में किया जाता है। इसकी तरंग दैर्ध्य दृश्य प्रकाश ( visible light ) से अधिक होती है। यह विद्युत चुम्बकीय तरंगों की रोशनी का रूप है। इसका प्रयोग रात्रि दृष्टि, निरीक्षण, लक्ष्य ढूंढ़ने इत्यादि के लिए सैन्य एवं असैन्य क्षेत्रों में किया जाता है। वर्ण विक्षेपण के पश्चात् वर्णणपट्ट पर लाल रंग के ऊपर जो अदृश्य प्रकाश की किरणें विद्यमान रहती हैं, वे अवरक्त किरणें होती हैं। इसकी तरंग दैर्ध्य 7800 A ° से मिमी० तक होती है।
Incorrect
व्याख्या: अवरक्त तरंग का प्रयोग रात्रि दृष्टी उपकरण में किया जाता है। इसकी तरंग दैर्ध्य दृश्य प्रकाश ( visible light ) से अधिक होती है। यह विद्युत चुम्बकीय तरंगों की रोशनी का रूप है। इसका प्रयोग रात्रि दृष्टि, निरीक्षण, लक्ष्य ढूंढ़ने इत्यादि के लिए सैन्य एवं असैन्य क्षेत्रों में किया जाता है। वर्ण विक्षेपण के पश्चात् वर्णणपट्ट पर लाल रंग के ऊपर जो अदृश्य प्रकाश की किरणें विद्यमान रहती हैं, वे अवरक्त किरणें होती हैं। इसकी तरंग दैर्ध्य 7800 A ° से मिमी० तक होती है।
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Question 2 of 10
2. Question
1 pointsसूर्य से दूरी के क्रम में, निम्नालिखित में से कौन से दो ग्रह, मंगल और यूरेनस के बीच हैं?
Correct
व्याख्या: सूर्य से दूरी के क्रम में बृहस्पति और शनि दो ग्रह, मंगल और यूरेनस के बीच स्थित हैं। सूर्य चारों तरफ चक्कर लगाने वाले ग्राहों की संख्या 9 है। इन ग्रहों के नाम सूर्य से दूरी के क्रम में ’बुध ( Mercury), शुक्र ( Venus), पृथ्वी ( Earth), मंगल (Mars), बृहस्पति (Jupiter), शनि ( Saturn ), अरूण ( Uranus), वरूण ( Neptune ) और यम (Pluto) हैं। नौ ग्रहों में से केवल पाँच को नंगी आँखों से देखा जा सकता ह्रै, जो निम्न हैं – बुध, शुक्र, शनि, बृहस्पति एवं मंगला आकार के अनुसार ग्रहों का क्रम इस प्रकार है – बृहस्पति, शनि, अरूण, वरूण, पृथ्वी, शुक्र, मंगल, बुध, यम। अर्थात् सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति एवं सबसे छोटा ग्रह यम है।
Incorrect
व्याख्या: सूर्य से दूरी के क्रम में बृहस्पति और शनि दो ग्रह, मंगल और यूरेनस के बीच स्थित हैं। सूर्य चारों तरफ चक्कर लगाने वाले ग्राहों की संख्या 9 है। इन ग्रहों के नाम सूर्य से दूरी के क्रम में ’बुध ( Mercury), शुक्र ( Venus), पृथ्वी ( Earth), मंगल (Mars), बृहस्पति (Jupiter), शनि ( Saturn ), अरूण ( Uranus), वरूण ( Neptune ) और यम (Pluto) हैं। नौ ग्रहों में से केवल पाँच को नंगी आँखों से देखा जा सकता ह्रै, जो निम्न हैं – बुध, शुक्र, शनि, बृहस्पति एवं मंगला आकार के अनुसार ग्रहों का क्रम इस प्रकार है – बृहस्पति, शनि, अरूण, वरूण, पृथ्वी, शुक्र, मंगल, बुध, यम। अर्थात् सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति एवं सबसे छोटा ग्रह यम है।
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Question 3 of 10
3. Question
1 pointsरासायनिक ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरण निम्नक्त् होता है –
Correct
व्याख्या: रासायनिक ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरण इलेक्ट्रोलाइसिस द्वारा होता है। किसी यौगिक की द्रवित अवस्था या घोल की अवस्था में विद्युत धारा का एक रासायनिक प्रभाव है। जब शुद्ध धातुओं में वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो वे अपघटित नहीं होती, परन्तु कुध पदार्थ ऐसे होते हैं, कि जब उनमें वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वे अपघटित हो जाते हैं, तथा रासायनिक प्रभाव दर्शाते हैं, वैद्युत अपघट्य ( electrolyte ) कहलते हैं। जैसे अम्लीय जल, नमक का जल में विलयन आदि वैद्युत अपघट्य के ऋण एवं धन आयन उपस्थित करते हैं, तथा वैधुत धारा का प्रवाह इन्हीं आयनों की गति के कारण होती है।
स्त्रोत – विज्ञान एन० सी० ई० आर० टी०
Incorrect
व्याख्या: रासायनिक ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरण इलेक्ट्रोलाइसिस द्वारा होता है। किसी यौगिक की द्रवित अवस्था या घोल की अवस्था में विद्युत धारा का एक रासायनिक प्रभाव है। जब शुद्ध धातुओं में वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो वे अपघटित नहीं होती, परन्तु कुध पदार्थ ऐसे होते हैं, कि जब उनमें वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वे अपघटित हो जाते हैं, तथा रासायनिक प्रभाव दर्शाते हैं, वैद्युत अपघट्य ( electrolyte ) कहलते हैं। जैसे अम्लीय जल, नमक का जल में विलयन आदि वैद्युत अपघट्य के ऋण एवं धन आयन उपस्थित करते हैं, तथा वैधुत धारा का प्रवाह इन्हीं आयनों की गति के कारण होती है।
स्त्रोत – विज्ञान एन० सी० ई० आर० टी०
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Question 4 of 10
4. Question
1 pointsरासायनिक ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरण निम्नवत् होता है- (Uttarakhand PSC (Pre) 2008
Correct
व्याख्या: रासायनिक ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरण इलेक्ट्रोलाइसिस द्वारा होता है। किसी यौगिक की द्रवित अवस्था या घोल की अवस्था में विद्युत धारा प्रवाहित कर अपघटित करने की क्रिया को वैद्युत अपघटन कहते हैं। वैद्युत धारा का एक रासायनिक प्रभाव है। जब शुद्ध धातुओं में वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो वे अपघटित नहीं होतीं, परन्तु कुध पदार्थ ऐसे होते हैं, कि जब उनमें वैधुत धारा प्रवाहित की जाती है, तो वे अपघटित नहीं होतीं, परन्तु कुध पदार्थ एसे होते हैं, कि जब उनमें वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वे अपघटित हो जाते हैं, तथा रासायनिक प्रभाव दर्शाते हैं, वैद्युत अपघट्य (electrolyte) कहलाते हैं। जैसे – अम्लीय जल, नमक का जल में विलयन आदि वैद्युत अपघट्य के ऋण एवं धन आयन उपस्थित करते हैं, तथा वैद्युत धारा का प्रवाह इन्हीं आयनों की गति के कारण होता है।
स्त्रोत : विज्ञान – एन० सी० ई० आर० टी०
Incorrect
व्याख्या: रासायनिक ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरण इलेक्ट्रोलाइसिस द्वारा होता है। किसी यौगिक की द्रवित अवस्था या घोल की अवस्था में विद्युत धारा प्रवाहित कर अपघटित करने की क्रिया को वैद्युत अपघटन कहते हैं। वैद्युत धारा का एक रासायनिक प्रभाव है। जब शुद्ध धातुओं में वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो वे अपघटित नहीं होतीं, परन्तु कुध पदार्थ ऐसे होते हैं, कि जब उनमें वैधुत धारा प्रवाहित की जाती है, तो वे अपघटित नहीं होतीं, परन्तु कुध पदार्थ एसे होते हैं, कि जब उनमें वैद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वे अपघटित हो जाते हैं, तथा रासायनिक प्रभाव दर्शाते हैं, वैद्युत अपघट्य (electrolyte) कहलाते हैं। जैसे – अम्लीय जल, नमक का जल में विलयन आदि वैद्युत अपघट्य के ऋण एवं धन आयन उपस्थित करते हैं, तथा वैद्युत धारा का प्रवाह इन्हीं आयनों की गति के कारण होता है।
स्त्रोत : विज्ञान – एन० सी० ई० आर० टी०
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Question 5 of 10
5. Question
1 pointsशुष्क सेल ( बैटरी ) में निम्नलिखित में से किनका विद्युत – आघट्यों ( Electrolytes) के रूप में प्रयोग होता है ?
Correct
व्याख्याः शुष्क सेल ( बैटरी ) में अमोनियन क्लोराइड़ और जिंक क्लोराइड़ का विद्युत अपधट्यों के रूप में प्रयोग होता है। शुष्क सेल में जस्ते का एक बर्तन होता है, जिसमें मैंगनीज डाइ- आँक्साइड़, नौसादर ( अमोनियम क्लोराइड़), कार्बन आदि का मिश्रण भरा होता है। इसमें कार्बन की छड़ एनोड़ का कार्य करती है। जबकि जस्ते का बर्तन कैथोड का कार्य करता है। मैंगनीज डाइ – आँक्साइड व कार्बन के मिश्रण व जस्ते की दीवारों के बीच अमोनियम क्लोराइड़ की गाढ़ी लुगदी भारी जाती है।
स्रोतः विज्ञान: एन० सी० ई० आर० टी०
Incorrect
व्याख्याः शुष्क सेल ( बैटरी ) में अमोनियन क्लोराइड़ और जिंक क्लोराइड़ का विद्युत अपधट्यों के रूप में प्रयोग होता है। शुष्क सेल में जस्ते का एक बर्तन होता है, जिसमें मैंगनीज डाइ- आँक्साइड़, नौसादर ( अमोनियम क्लोराइड़), कार्बन आदि का मिश्रण भरा होता है। इसमें कार्बन की छड़ एनोड़ का कार्य करती है। जबकि जस्ते का बर्तन कैथोड का कार्य करता है। मैंगनीज डाइ – आँक्साइड व कार्बन के मिश्रण व जस्ते की दीवारों के बीच अमोनियम क्लोराइड़ की गाढ़ी लुगदी भारी जाती है।
स्रोतः विज्ञान: एन० सी० ई० आर० टी०
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Question 6 of 10
6. Question
1 pointsनिम्नलिखित में से कौन अण्डे देता है और सीधे बच्चे नहीं देता ?
Correct
व्याख्याः एकिड्ना ( Echidna ) एवं प्लेटिपस ( Platypus ) दोनों एकमात्र अण्डे देने वाले स्तनधारी हैं।
स्त्रोत : जीव विज्ञान – एन० सी० ई० आर० टी०
Incorrect
व्याख्याः एकिड्ना ( Echidna ) एवं प्लेटिपस ( Platypus ) दोनों एकमात्र अण्डे देने वाले स्तनधारी हैं।
स्त्रोत : जीव विज्ञान – एन० सी० ई० आर० टी०
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Question 7 of 10
7. Question
1 pointsनिम्नलिखित पर विचार कीजिए –
- हाइड्रोजन के आँक्साइड़
- नाइट्रोजन के आँक्साइड़
- सल्फर के आँक्साइड़उपरोक्त में से कौन – सा / कौन – से अम्लीय वर्षा के कारक हैं ?
Correct
व्याख्या: उपरोक्त में से हाइड्रोजन के आँक्साइड़ एवं नाइट्रोजन के आँक्साइड़ अम्लीय वर्षा के कारक है। अम्लीय वर्षा उस तरह की वर्ष को कहते है जिसमें वर्ष का जल साधारण जल की अपेक्षा अम्लीय होता है। सामान्य वार्षा का pH स्तर 6.5 से 5.5 तक होता है किन्तु अम्लीय वर्षा में pH का मान 4 या इससे भी कम होता है।
अम्लीय वर्षा प्रायः उन क्षेत्रों में होती है जहाँ ज्यादा ज्यादा उद्योग धंधे है और वाहनों की संख्या अधिक है। कोयला और तेल के बहुत ज्यादा जलाने से सल्फर डाइ – आँक्साइड (SO 2) , नाइट्रोजन आँक्साइड ( NO2) और कार्बन मोनोआँक्साइड (CO), ज्यादा मात्रा में निकलते हैं। ये गैसें वायुमण्डल में काफी ऊँचाई पर जाकर एक जलवाष्प के सम्पर्क में आने पर आँक्सीजन की उपास्थति में सलफयूरिक अम्ल ( H2SO4) और नाइट्रिक अम्ल (HNO3) पैदा करती हैं जो पृथ्वी पर वर्षा के रुप में आती है। इसका दुष्प्रभाव प्राणियों,वन्यजीवों, भवनो, पौधों, धातुओं इत्यादि पर पड़ता है। यद्यपि पीश्चमी देशों में यह ज्यादा देखा जाता है, किन्तु भारत के कुध औद्योगिक केन्द्रों के पास भी ऐसा कुध समय से देखा जा रहा है।
स्त्रोत – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी – एन ० सी० ई०आर० टी०
Incorrect
व्याख्या: उपरोक्त में से हाइड्रोजन के आँक्साइड़ एवं नाइट्रोजन के आँक्साइड़ अम्लीय वर्षा के कारक है। अम्लीय वर्षा उस तरह की वर्ष को कहते है जिसमें वर्ष का जल साधारण जल की अपेक्षा अम्लीय होता है। सामान्य वार्षा का pH स्तर 6.5 से 5.5 तक होता है किन्तु अम्लीय वर्षा में pH का मान 4 या इससे भी कम होता है।
अम्लीय वर्षा प्रायः उन क्षेत्रों में होती है जहाँ ज्यादा ज्यादा उद्योग धंधे है और वाहनों की संख्या अधिक है। कोयला और तेल के बहुत ज्यादा जलाने से सल्फर डाइ – आँक्साइड (SO 2) , नाइट्रोजन आँक्साइड ( NO2) और कार्बन मोनोआँक्साइड (CO), ज्यादा मात्रा में निकलते हैं। ये गैसें वायुमण्डल में काफी ऊँचाई पर जाकर एक जलवाष्प के सम्पर्क में आने पर आँक्सीजन की उपास्थति में सलफयूरिक अम्ल ( H2SO4) और नाइट्रिक अम्ल (HNO3) पैदा करती हैं जो पृथ्वी पर वर्षा के रुप में आती है। इसका दुष्प्रभाव प्राणियों,वन्यजीवों, भवनो, पौधों, धातुओं इत्यादि पर पड़ता है। यद्यपि पीश्चमी देशों में यह ज्यादा देखा जाता है, किन्तु भारत के कुध औद्योगिक केन्द्रों के पास भी ऐसा कुध समय से देखा जा रहा है।
स्त्रोत – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी – एन ० सी० ई०आर० टी०
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Question 8 of 10
8. Question
1 points‘’निम्नलिखित पर विचार कीजिए –
- ब्लू टूथ उपकरण ( डिवाइस )
- तार रहित फोन ( कॉर्डलेस फोन )
- सूक्ष्मतरंग अवन
- वाई – फाई (Wi-Fi) उपकरण
इनमें से कौन – से ,2.4 और 2.5 GHz रेडियों आवृत्ति बैण्ड पर प्रचालन कर सकते हैं?
Correct
व्याख्य : उपरोक्त में से चारों अर्थात् ब्लू टूथ उपकरण, तार रहित फोन, सूक्ष्म तरंग अवन एवं वाई – फाई उपकरण 2.4 और 2.5 GHz रोडियो आवृत्ति पर प्रचालन कर सकते हैं।
स्त्रोत: मनोरमा ईयर बुक 2010
Incorrect
व्याख्य : उपरोक्त में से चारों अर्थात् ब्लू टूथ उपकरण, तार रहित फोन, सूक्ष्म तरंग अवन एवं वाई – फाई उपकरण 2.4 और 2.5 GHz रोडियो आवृत्ति पर प्रचालन कर सकते हैं।
स्त्रोत: मनोरमा ईयर बुक 2010
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Question 9 of 10
9. Question
1 pointsनाभिक के अलावा कोशिका के किस कोशिकांग ( Organelle) मे DNA होता है?
Correct
व्याख्या: कोशिका के नाभिक के अलावा डी० एन० ए० (DNA) इसके साइटोप्लाज्म में उपीस्थत क्या था माइटोकॉण्ड्रिया में भी पाया जाता है, लेकिन इसका जिनेटिक कोड़ नाभिक में पाये जाने वाले डी० एन० ए० से अलग होता है। चूंकि माइटोकॉण्ड्रिया अर्द्धस्वायत्त अंग है एवं इसमें डी० एन०ए० तथा राइबोसोम होता है।
स्त्रोत: विज्ञान कक्षा 11 (भाग -2), एन० सी० ई० आर० टी०
Incorrect
व्याख्या: कोशिका के नाभिक के अलावा डी० एन० ए० (DNA) इसके साइटोप्लाज्म में उपीस्थत क्या था माइटोकॉण्ड्रिया में भी पाया जाता है, लेकिन इसका जिनेटिक कोड़ नाभिक में पाये जाने वाले डी० एन० ए० से अलग होता है। चूंकि माइटोकॉण्ड्रिया अर्द्धस्वायत्त अंग है एवं इसमें डी० एन०ए० तथा राइबोसोम होता है।
स्त्रोत: विज्ञान कक्षा 11 (भाग -2), एन० सी० ई० आर० टी०
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Question 10 of 10
10. Question
1 pointsH1N1 विषाणु का प्रायः समाचारों में निम्नलिखित में से किस एक बीमारी के सन्दर्भ में उल्लेख किया जाता है ?
Correct
व्याख्या: (d) यह के फ्लू विषाणु (virus) है। वर्ष 2009 में जब प्रथम बार इसकी खोज हुई थी, तो इसे ‘स्वाइन फ्लू’ कहा गया, क्योंकि यह विषाणु सुअरों (Pigs) में पाए जाने वाले विषाणुओं के समान था। वर्तमान में ये विषाणु मानवों में होने वाले मौसमी फ्लू, जिसे स्वाइन फ्लू भी कहते है, का प्रमुख कारण है। इस बीमारी के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं
- ठण्ड लगना
- बुखार
- नाक बहना
- सिर दर्द व बदन दर्द
इस बीमारी के विषाणु से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए
- समय- समय पर हाथों को धोना
- आँखों, नाक व मुँह को छूने से बचना
- बीमारी से ग्रस्त लोगों से दूर रहना।
- अधिक पानी पीना चाहिए व पर्याप्त नींद लेनी चाहिए।
इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को ओसेल्टाविमीर (टैमीफ्लू), जानाविमीर ( रेलेंजा ), एमाण्टाडाइन ( सिमेट्रेल ) और राइमेण्टाडाइन ( फलूमेडाइन) जैसी एरहीवायरल औषधि दी जाती है।
Incorrect
व्याख्या: (d) यह के फ्लू विषाणु (virus) है। वर्ष 2009 में जब प्रथम बार इसकी खोज हुई थी, तो इसे ‘स्वाइन फ्लू’ कहा गया, क्योंकि यह विषाणु सुअरों (Pigs) में पाए जाने वाले विषाणुओं के समान था। वर्तमान में ये विषाणु मानवों में होने वाले मौसमी फ्लू, जिसे स्वाइन फ्लू भी कहते है, का प्रमुख कारण है। इस बीमारी के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं
- ठण्ड लगना
- बुखार
- नाक बहना
- सिर दर्द व बदन दर्द
इस बीमारी के विषाणु से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए
- समय- समय पर हाथों को धोना
- आँखों, नाक व मुँह को छूने से बचना
- बीमारी से ग्रस्त लोगों से दूर रहना।
- अधिक पानी पीना चाहिए व पर्याप्त नींद लेनी चाहिए।
इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को ओसेल्टाविमीर (टैमीफ्लू), जानाविमीर ( रेलेंजा ), एमाण्टाडाइन ( सिमेट्रेल ) और राइमेण्टाडाइन ( फलूमेडाइन) जैसी एरहीवायरल औषधि दी जाती है।
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