शिक्षकों में छात्रों के प्रति अभिवृत्ति –
शिक्षक का पहला उदस्य होता है की वह छात्रों को ज्ञानवान और सुसंस्कृत बनाने के लिए अपने दायित्व का पालन करें । और छात्रों में नैतिक गुण को अपने शिक्षा के माध्यम से प्रदान करें । शिक्षकों का यह दायित्व बनाता है की छात्रों के भौतिक ज्ञान-पक्ष के साथ साथ वह उन में नैतिक मूल्यों को भी अभिवृद्धि करें । जिस से छात्र देश के भविष्य के निर्माण में सकारात्मक सहयोग कर सकेंगे । छात्र एक गीली मिट्टी के तरह होते है, शिक्षक ही उनमें नैतिक शिक्षा एवं भौतिक ज्ञान दे कर उन्हे समाज में एक अच्छे नागरिक के आकार में ढालता है । और कहाँ जा सकता है शिक्षक एक माली के जैसा होता है, जो बागीचे को अपने ज्ञान द्वारा सींचता और देख भाल करता है ताकि भविष्य में सुन्दर एवं आकर्षक फूल खिले । शिक्षक पर सर्वाधिक महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी समाज के प्रति होती है क्योंकि बच्चों को अर्दश नागरिक बनाने का दायित्व शिक्षकों के ऊपर ही होता है ।
एक बच्चे का पहला गुरु उसकी माँ ही होती है, परन्तु माता के बाद बच्चे की सार्वजनिक ज़िम्मेदारी शिक्षक की होती है । एक शिक्षक योग्य तभी कहलाता है जब उसकी शिक्षण के प्रति अभिरूचि हो , इसलिए एक योग शिक्षक केवल विषयगत अध्ययन पर विशेषज्ञता प्राप्त करने से ही नही बनाता । शिक्षक को बच्चों के सर्वांगीण विकास पर कार्य करना चाहिए ताकि बच्चों में उनकी दबी हुई आन्तरिक योग्यताओ एवं प्रतिभाओं को बहार निकल सकें। इस से बच्चों के आन्तरिक योग्यताओं एवं प्रतिभाओं का पता चल सकेगा जिस करण से वे अच्छे नागरिक के होने का कर्तव्य पूर्ण कर सकेंगे । शिक्षक को आने विषयगत ज्ञान के अलवा एक अच्छा मनोवैज्ञानिक भी होना चाहिए ताकि वह छात्रो का मनोदशा का विश्लेषण कर उनकी विशेष प्रतिकूल अभिवृत्तियों को दूर किया जा सकें । जिस से छात्र सकारात्मक अभिवृत्ति के साथ समाज के विकास में अपना योगदान दे सकेगा ।
शिक्षा के प्रति अभिवृत्ति –
शिक्षक बनाना अधिकतर लोग चाहते है, पर शिक्षक बनने के लिए विशेष प्रतिभा और व्यक्तित्व मे विशेष प्रकार का द्वाष्टिकोण होना बहुत जरूरी है । इन द्वाष्टिकोणों में सर्वप्रमुख है कि व्यक्ति में शिक्षा के प्रति लक्ष्यात्मक दृष्टिकोण हों जो शिक्षा के उदस्य को पूरा करता हो । व्यक्ति के अन्दर शिक्षा के प्रति लगाव हो जो उसे शिक्षक बनने योग्य औपचारिकताएँ प्रदान करता है । इन गुणों से भार कर व्यक्ति शिक्षा को व्यवसाय के रूप में ग्रहण करता है । अतः वह शिक्षा को व्यवसाय या औपचारिक मात्र न बनाकर अपने एवं समाजिक विकास के लिए आवश्यक मानता है । इस प्रकार से वह शिक्षा के महत्व को स्वीकारते हुए शिक्षा को व्यवसाय के रूप में ग्रहण कर सकते है । वह शिक्षा को व्यवसाय या औपचारिक मात्र न मानकर अपने और सामाजिक विकास के लिए जरूरी मानता है । ऐसा व्यक्ति ही अपने आध्यपन कार्य को पूर्ण निष्ठा एवं ईमानदारी के साथ करते है । इस प्रकार से शिक्षण परीक्षार्थी को अपने व्यक्तित्व में सकारात्मक दृष्टिकोण शिक्षा के प्रति रखना बहुत जरूरी है ।
शिक्षण विद्यार्थी को अपनी पूर्व शिक्षा के मूल्यों को उपयोगी, और ज्ञान से युक्त समझते हुए समाज के सर्वागीण विकास के लिए जरूरी मानते हुए शैक्षिक क्षेत्र में कार्य को करना चाहिए । इस प्रकार से उसे देश के सामाजिक – शैक्षिक विकास में वृद्धि के लिए अपना अमूल्य योगदान हमेशा प्रदान करना चाहिए, इस प्रकार से वह सच्चे अर्थों में एक आदर्श शिक्षक बन सकेगा और आदर्श विद्यार्थी देश को प्रदान कर सकेगा ।
अभ्यास प्रशन
Teaching Aptitude - Quiz 01
Question 1 |
व्यक्ति को आत्म-र्निभर बनाने में
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व्यक्ति के अर्थोपार्जन में
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व्यक्ति को विद्वान बनाने में
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व्यक्ति की प्रतिष्ठा बढ़ाने में
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Question 2 |
आप यह जानकारी प्राप्त करेंगे कि क्या वह मन्दबुद्धि का बालक है, उसको पढ़ाई के लिए और समय देंगे
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आप उसे दण्डित करेंगे
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आप उसकी निन्दा करेंगे
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आप उसे परीक्षा में अनुत्तीण कर देंगे
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Question 3 |
शिक्षक को बालक के स्तर तक आना होगा
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ज्ञान को लघु पदों में बाँटकर जिसे बालक सरलता से सीख सकता है
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पाठ के कठिन बिन्दुओं को हटा देना
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अध्ययन करते हुए कि बालक कैसे पढ़ेगा तथा सीखने की परिस्थितियाँ उत्पन्न करना
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Question 4 |
आप उनको शान्त रहने को कहेंगे
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आप उनके प्रश्नों को शान्तिपूर्वक सुनेगे तथा उनके प्रश्नों के उत्तर देगें
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आप उनके प्रति उदासीन रहेंगे
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आप उनको झिड़क देंगे
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Question 5 |
केवल समय बिताने वाली रही है
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उपयोगी एवं मूल्यवान है
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केवल भौतिकवादिता को बढ़ावा देने वाली रही है
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नैतिकता से बिल्कुल शून्य रही है
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Question 6 |
विद्यार्थियों की परीक्षा लेकर
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विद्यार्थियों से प्रगति बताने के लिए पूछकर
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शिक्षकों की सहायता लेकर
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संचयी अभिलेख रखकर
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Question 7 |
शिक्षा एक पुस्तक है
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शिक्षा एक व्यवसाय है
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शिक्षा वह है जो केवल शिक्षकों से मिलती है
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शिक्षा ज्ञान एवं अनुभव है
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Question 8 |
ऐसे विषय में कुछ कहने का अवसर देंगे जो वे जानते हैं लेकिन दूसरे विद्यार्थी नहीं जानते
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उनको बोलने के लिए मजबूर करेंगे
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यदि वे बोलने में सफल नहीं होते हैं तो उन्हें डॉंटेगे
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इसके लिए कोई विशेष प्रयास नहीं करेंगे
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Question 9 |
अध्यापकों का उच्च वेतन
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छात्रों का सतत् मूल्यांकन
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पाठ्य - पुस्तकों का सतत् मूल्यांकन
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पाठ्यक्रम में संशोधन
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Question 10 |
एक ही स्तर का हो
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छात्रों की योग्यता के अनुसार हो
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केवल पुस्तक के अन्दर से हो
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पुस्तक के बाहर से हो
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