विशिष्ट बालक Exceptional Children CTET Notes
विशिष्ट बालक उन बालको कहा जाता है जो विभिन्न तरह से सामान्य बच्चों से भिन्न होते है, जैसेः उनमे शारीरिक,मानसिक, सामाजिक तथा व्यक्तिगत समस्याएँ विशिष्ट प्रकार की होती है-
सामान्यत: ऐसे बालक जो आपनी योग्यताओं, क्षमताओं, व्यक्तित्व एवं व्यवहार के द्वारा अपनी उम्र के अन्य बच्चों से भिन्न होते हैं, ऐसे बालकों को विविध या विशिष्ट आवश्यकता वाले बालक कहते है। इन बालकों का मानसिक विकास या तो इतना अधिक होता है कि वो अगे निकल जाते हैं या फिर इतना कम होता है कि वे अन्य बालकों से पीछे रह जाते हैं। इन दोनों ही स्थितियों में इस प्रकार के बच्चों को अलग प्रकार की शिक्षा एवं अन्य सुविधाओं की आवश्यकता होती हैै।
और यह विशिष्टता इस स्तर की होती है कि उसे आपने विकास के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता पड़ती हो, ऐसे बालक को विशिष्ट बालक कहा जाता है।
प्रतिभाशाली, सृजनात्मक तथा विशिष्ट बालकों की पहचान Identifying the Talented, Creative and Especially-able Children
प्रत्येक विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत से सामान्य बालक आते हैं। इसके अलावा, कुध ऐसे बालक भी आते है, जिनको अपनी कुछ शारीरिक और मानसिक विशेषताएँ होती है।
ऐसे बालको को विशिष्ट अथवा आवादी बालक भी कहा जाता है। विशिष्ट बालको में सामान्य बालको की अपेक्षा कुध असामान्यताएं तथा विशेषतायें पाई जाती है।
क्रो एव क्रो के के अनुसार :
वह बालक जो मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और संवेगात्मक आदि विशेषताओं में औसत से विशिष्ट हो और यह विशिष्टता इस स्तर की हो कि उसे अपनी विकास क्षमता की उच्चतम सीमा तक पहुंचने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता हो, ऐसे बालक असाधारण या विशिष्ट बालक कहलाते है।
हेक के अनुसार:
विशिष्ट बालक वह बालक हैै जो एक अथवा कई गुणों की दृष्टि से सामान्य बालक से पर्याप्त मात्रा में भिन्न होते हैं।
हेवेट तथा फोरनेस के अनुसारः
विशिष्ट ऐसा व्यक्ति है जिसकी शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक इंद्रिया मांसपेशियों की क्षमता अनोखी हो अर्थात सामान्यत: ऐसी दुर्लभ गुण हों, ऐसी दुर्लभ क्षमताएँ उसकी प्रकृति तथा कार्यो के स्तर में भी हो सकती है।
विशिष्ट बालको को निम्नलिखित वर्गो में विभाजित किया जा सकता हैः
- प्रतिभाशाली बालक (Gifted Children)
- पिछ्ड़े बालक (Backward Children)
- बाल अपराधी ( Child Crime)
- सृजनशील बालक (Problem Children)
- मन्द – बुद्धि बालक (Mentally Retarded Children)
- समस्यात्मक या संवेगात्मक दृष्टि से पिछड़े बालक
प्रतिभाशाली बालक: ( Gifted / Talented Child)
- प्रातिभाशाली बालक, सामान्य बालकों से सभी बातो मे श्रेष्ठतर होते है।
- इनकी विशेषताएं ( Characteristics of Gifted Child’s )
- मानसिक प्रक्रिया की तीव्रता
- दैनिक कार्यो में विभिन्नता
- सामान्य ज्ञान की श्रेष्ठता
- विशाल शब्दकोष
- सामान्य अध्ययन में रूचि।
- अध्ययन में अद्वितीय सफलता।
- अमूर्त विषयों में रुचि
- आश्चर्यजनक अंतर्दृष्टि का प्रमाण।
- मंद बुद्धि और सामान्य बालकों से अरूचि
- विद्यालय के कार्यों के प्रति बहुधा उदासीनता
- उच्च बुद्धि – लाब्धि ( 130 से 170 तक )
- मानसिक प्रक्रिया की तीव्रता: उनका Mind बहुत ज्यादा ज्यादा Sharp होता है। तेज होता हैै।
- दैनिक कार्यो में विभिन्नता: Daily के कमों को अलग तरहा से करते है।
- सामान्य ज्ञान की श्रेष्ठता: General Knowledge बहुत अच्छी होती है।
- विशाल शब्दकोष: उनकी Vocabulary बहुत High होती हैै।
- सामान्य अध्ययन में रूचि: General Knowledge में बहुत रूचि होती है।
- अध्ययन में अद्वितीय सफलता: बहुत ही ज्यादा अच्छे होते पढ़ाई में
- अमूर्त विषयों में रुचि: (Logical subject होते है) जैसे:Science इन विषय मे Logic लगाना पडता है।
- आश्चर्यजनक अंतर्दृष्टि का प्रमाणः आश्चर्यजनक अंतर्दृष्टि होती है, सोच बहुत अच्छी होती है।
- मंदबुद्धि और सामान्य बालकों से अरूचि: मन्द बुद्धि बालक को वो ज्यादा पसन्द नही करते।
- पाठ्य विषयों में अत्याधिक रूचि या अरूचि: जो भी उनके Subject है उसमें बहुत ज्यादा intrest होगा या नही होगा जैसे Maths में बहुत रूचि होगी, पर हिन्दी में बिल्कुल भी रूचि नही होगी।
- विद्यालय के कार्यो के प्रति बहुधा उदासीनता: विद्यालय कार्य करने मे कोई रूचि नही दिखाते।
- बुद्धि- परीक्षाओं मे उच्च: बुद्धि लब्धि ( 130 + से 170 + तक )
- नेतत्व कौशल का होना: उनके अन्दर Leadership करने का गुण होता है।
- जोखिम उठाने की क्षमता: वो risk लेने में घबरते नही है, डरते नही है।
- सकारात्मक आत्मविश्वास: हमेशा positive होते है।
विशिष्ट बालक की प्रकृति एवं विशेषता:
- विविध आवश्यकता वाले बालक सामान्य या औसत स्तर वाले बालको से अलग होते हैं।
- ये प्रायः विलक्षण प्रतिभा, असाधारण एंव भिन्नता का व्यवहार करते है।
- विविध आवश्यकता के कारण बालकों को आपने वातावरण से समायोजन स्थापित करने में समस्यओं का सामाना करना पड़ता है।
- इन बालकों के लिए विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता होती है
- इन्हे अपनी योग्यताओं एवं क्षमताओं के विकास, उचित समायोजन, अवश्यक वृद्धि एव विकास के लिए देख भाल की आवश्यकता होती है।
- इन बालकों को विशिष्ट शिक्षा के साथ साथ विशेष सेवाएँ, देखभल एवं सहानुभूति की आवश्यकता होती है।
विशिष्ट बालक और सामान्य बालक में अंतर
विशिष्ट बालक (Exceptional Child)
- विशिष्ट बालक प्राय शारीरिक रूप से अस्वस्थ होते हैं।
- इन बालकों के शारीरिक विकास का प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ने के कारण यह विभिन्न रोगों से ग्रस्त रहते हैं।
- विशिष्ट बालक प्राय अपंग पोलियो ग्रस्त अत्यधिक लंबे मोटे पतले या शारीरिक विकारों से ग्रस्त होते हैं।
- विशिष्ट बालकों की बुद्धि लब्धि या तो बहुत अधिक(140 से ज्यादा) होती है अथवा बहुत कम(90 से कम) होती है।
- इनकी शैक्षिक उपलब्धि या तो बहुत अच्छी होती है अथवा अत्यधिक न्यून जिससे इन्हें असफलताओं का सामना करना पड़ता है।
- विशिष्ट बालक या तो आती आशावादी होते हैं या फिर घोर निराशावादी यह अंतर्मुखी प्रवृत्ति के होने के कारण स्वयं में ही खोए रहते हैं।
- विशिष्ट बालकों का अपने शब्दों पर नियंत्रण नहीं रहता तथा वह प्रेम क्रोध घृणा ईर्ष्या आनंद आदि का सहज रूप से प्रदर्शन करते हैं।
- यह अत्यधिक महत्व कांशी अथवा अति निराशावादी होते हैं।
- विशिष्ट बालकों को अपने परिवार समाज एवं विद्यालय से समायोजन करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
- विशिष्ट बालकों को अपने अंतर्निहित गुणों एवं संभावनाओं के विकास के लिए शिक्षा एवं विशेष शिक्षा एवं सेवाओं की जरूरत पड़ती है।
सामान्य बालक ( Normal Child )
- सामान्य बालक शारीरिक रूप से पूर्ण स्वस्थ होते हैं
- सामान्य बालकों का विशिष्ट बालकों की तुलना में मस्तिक पूर्णता स्वस्थ एवं रोग मुक्त होता है।
- सामान्य बालक इन सभी विकारों से रहित एवं अच्छी सैलरी बनावट वाले होते हैं।
- सामान्य बालकों की बुद्धि लब्धि 90 से 110 के बीच होती है।
- सामान्य बालकों की शैक्षिक उपलब्धि अच्छी होती है जिससे उन्हें अपने कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- सामान्य बालक आशावादी, उभयमुखी एवं समाजिक होते हैं तथा व्यवहारिक प्रवृत्ति के होते हैं।
- सामान्य बालक अपने संवेगों पर नियंत्रण रखने के साथ इनका सामान्य प्रदर्शन करते हैं।
- सामान्य बालक अति महत्वाकांक्षी होते हैं।
- सामान्य बालक अपने परिवार पढ़ो समाज एवं विद्यालय के साथ आसानी से समायोजन स्थापित कर लेते हैं।
- सामान्य बालक सामान्य शिक्षा द्वारा अपने अंतर्निहित गुणों का विकास करने में सक्षम होते हैं।
विशिष्ट बालकों की पहचान:
विशिष्ट बालक सामान्य बालक से किस प्रकार भिन्न होते हैं इनकी पहचान करने का तरीका निम्नलिखित है-
- व्यवहार आत्मक अवलोकन द्वारा: सामान्य रूप से एक शिक्षक कक्षा में समस्त बालकों के व्यवहार आत्मक अवलोकन के माध्यम से विशिष्ट बालक के व्यवहार का मनोवैज्ञानिक निरीक्षण परीक्षण एवं विश्लेषण के माध्यम से उनकी विशेषताओं का पता लगा सकते हैं।
- निरीक्षण द्वारा: अध्यापक कक्षा में विभिन्न बालकों ने उनके विशिष्ट गुणों का निरीक्षण करके उनकी विशिष्टता ज्ञात कर सकते हैं इन बालकों की विशिष्टता को पहचान कर उनके गुणों के अनुरूप शिक्षा प्रदान करके उन्हें सहयोग प्रदान कर सकते हैं।
- चिकित्सकीय परीक्षण द्वारा: प्राया अनेक प्रकार के अवलोकन या विश्लेषण करने के बाद भी कभी-कभी विशिष्ट बालकों की पहचान नहीं हो पाती है इसके लिए इन बालकों का शारीरिक एवं मानसिक रूप से चिकित्सीय परीक्षण करके उनकी विशिष्टता का पता लगाया जा सकता है।
- मानसिक परीक्षण: अत्य गंभीर विशेषता का पता लगाने के लिए विभिन्न मानसिक परीक्षण का उपयोग किया जाता है। यह परीक्षण जैसे -TAT, रोर्शा, स्याही धब्बा परीक्षण आदि है जिनके माध्यम से विशिष्ट बालकों की विशेषताओं का पता लगाया जा सकता है।
- साक्षात्कार के माध्यम से– सामान्यता छात्रों का प्रत्यक्षत साक्षात्कार लेकर उनकी विशेषताओं की पहचान की जा सकती है
इस प्रकार उपर्युक्त सभी विधियों के प्रयोग से विशिष्ट बालक की विशेषताओं की पहचान की जा सकती है।
Mock Test
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