अधिगम उद्देश्य
- अधिगम की अवधारणा और प्रक्रिया की व्याख्या कर सकेंगे।
- अधिगम प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले घटकों को जान पाएंगे ।
- अधिगम के विभिन्न तरीको और सिद्धांतो की व्याख्या करना।
- अधिगम और शिक्षण के पारम्परिक और आधुनिक उपागमों के बीच अन्तर करना ।
अधिगम प्रक्रिया
अधिगम क्या है ? एक बच्चा कैसे सीखता है? हम बच्चे के अधिगम को कैसे सुविधा प्रदान कर सकते है ? एक शिक्षक के रूप में इस प्रकार के कुछ प्रश्न है जिनको विद्यालय में बच्चों के अधिगम को आकार देने में, इस जिम्मेदारी को क्रम से निभाने के लिए समझना आवश्यक है।
- अधिगम की अवधारणा और प्रक्रिया :
आपके पढ़ने और विचार करने के लिए नीचे कुछ तथ्य दिए गए है:
अधिगम अधिक या कम स्थायी के द्वारा संसार में हमारे चारों ओर क्या घटित हो रहा है इसके द्वारा हमें क्या करना है और हमें क्या अवलोकन करना है इन सब के द्वारा रूपांतरित होने की एक प्रक्रिया है।
- अधिगम एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यवहार को मूलभूत किया जाता है यह परीक्षण विधि के द्वारा परिवर्तन होता है (या तो प्राकृतिक वातावरण में या प्रयोगशाला मे)
- अधिगम एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति विभिन आदतें, ज्ञान और प्रवृति प्राप्त करता है, जिनका सामान्य रूप से जीवन की माँग के अनुसार मिलना आवश्यक होता है।
- ” अधिगम व्यक्तित्व ( संज्ञानात्म, प्रभावकारी, प्रवृत्ति पूर्ण, उत्साहपूर्णण, व्यवहार पूर्ण और अभ्यासात्मक) पूर्णतया परिवर्तन कर देता है और उसके प्रदर्शन में परिवर्तन की चमक दिखाई देती है अक्सर यह अभ्यास के द्वारा आता है फिर भी यह अंतर्दृष्टि है से या अन्य कारको या स्मरण से पैदा होता हो सकता है ।
उपर्युक्त तथ्य हमें अधिगम को 3 विस्तृत तरीकों से समझने की ओर इशारा करते हैं ।
अधिगम को निम्न प्रकार से सुनिश्चित किया जा सकता है –
- व्यवहार का पूर्णतया स्थाई रूपांतरण
- जीवन की मांगो से मिलने के लिए आवश्यक आदतें ज्ञान और वृत्ति को ग्रहण करना।
- व्यक्तित्व में पूर्णतया स्थाई परिवर्तन सभी संभव विमाओ में ) अधिगम प्रक्रिया की विशेषताएं निम्न प्रकार है –
- अधिगम एक सतत प्रक्रिया है:- बचपन से ही प्रत्येक मनुष्य अपने व्यवहार सोच प्रवृत्ति, रूचि आदि से अपने व्यवहार में परिवर्तन की कोशिश करता है वह ऐसा जीवन के परिवर्तनशील स्थितियों में स्वयं को निरंतर फिट रखने के लिए करते हैं।
- अधिगम एक प्रत्यक्ष लक्ष्य है:- प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन में कुछ लक्ष्य को प्राप्त करने की अभिलाषा करता है इन लक्ष्यों को अधिगम के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। यदि प्राप्त करने के लिए कोई उद्देश्य नहीं है तब वह अधिगम की कोई आवश्यकता नहीं होगी !
- अधिगम सुविचारित है:- जब कोई व्यक्ति अपने लिए लक्ष्य निर्धारित करता है तब वह लक्ष्य प्राप्त करने के लिए जानबूझकर कुछ क्रियाकलाप करता हैं यदि उसके पास लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कोई सुविचार नहीं है या वह उसके बारे में बिल्कुल शांत है तब उसका लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल है इसका तात्पर्य यह है कि उसका अधिगम कमजोर है।
- अधिगम एक सक्रिय प्रक्रिया है:- कुछ सीखने के लिए शारीरिक मानसिक या दोनों प्रकार के कुछ क्रियाकलाप करने की आवश्यकता होती है। नए अनुभवो को सीखने के लिए मानसिक का सक्रिय होना आवश्यक है अन्यथा अधिगम संभव नहीं होगा ।
- अधिगम व्यक्तिवादी है :- अपने कक्षा में यह अवलोकन किया होगा कि कुछ बच्चे अधिक व शीघ्रता से सीखते हैं और अन्य धीरे धीरे सीखते है। वास्तव में विभिन्न व्यक्तियों की अधिगम की गति भिन्न भिन्न होती है ।
- अधिगम एक व्यक्ति की वातावरण के साथ परस्पर क्रिया का परिणाम है: – एक शिक्षक के रूप में, बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए सावधानी पूर्वक वातावरण का संगठन करना है, प्राय: जब वे आपसे परस्पर क्रिया करते हैं आपस में अपने साथियों से परस्पर क्रिया करते हैं तथा शिक्षण अधिगम सामग्री से परस्पर क्रिया करते हैं ।
- अधिगम स्थानांतरणीय है:- एक स्थिति में किया गया अधिगम अन्य स्थितियों में समस्या हल करने में उपयोगी हो सकता है । गणित विज्ञान समाजिक विज्ञान और भाषा का अधिगम बच्चों के वास्तविक जीवन में विभिन्न क्रियाकलापों के प्रदर्शन में उनकी सहायता करता है ।
कार्य : अधिगम की किन्ही तीन विशेषताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए ।
अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक
आप यह अवलोकन कर सकते हो कि कुछ व्यक्ति गाड़ी चलाना या तैरना या खाना बनाना आसानी से सीख लेते हैं जबकि कुछ इतनी आसानी से नहीं सीख पाते हैं ऐसा क्यों होता है वह क्या सीखते हैं कैसे सीखते हैं इस संदर्भ में व्यक्तिगत विभिन्नता के क्या कारण हो सकते हैं इन प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करो और अधिगम को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों को समझने का प्रयास करते है। अधिगम और परिपक्वता :- परिपक्वता वृद्धि की प्रक्रिया विकास की प्रक्रिया से संबंधित होती है यह परिवर्तनों का वर्णन करती है जो अपेक्षाकृत वातावरण के प्रभाव से स्वतंत्र है और यह माना जाता है कि यह वंशवाद या परंपरा वाद के प्रभाव से पूर्ण रुप से संबंधित है। और दूसरे शब्दों में अधिगम तत्काल वातावरण के साथ व्यक्तिगत पारस्परिक क्रिया के द्वारा प्राथमिक आकार है। उदाहरण चलने की शुरुआत कुछ निश्चित मांसपेशियों के समूह की परिपक्वता और उनकी गति के बढ़ते हुए नियंत्रण पर निर्भर करती है। परिपक्वता का विकास :- लेकिन चलना विभिन्न कौशलों से संबंधित अभ्यास के अवसर के बिना वातावरण और अधिगम किसी के लिए भी संभव नहीं हो सकता उसी प्रकार यद्यपि बोलना शुरू करना प्राया परिपक्वता के द्वारा प्रभावित होता है कोई भी उचित अभ्यास और परीक्षण के बिना धारा प्रवाह एवं अर्थ पूर्ण तरीके से नहीं भुला सकता है जो तत्व अधिगम के द्वारा प्रभावित हैं हम यह भी जानते हैं कि एक 6 माह के छोटे बच्चे को गुणन की तालिका सीखना सिखाना संभव हैजब तक की वह मानसिक परिपक्वता के निश्चित स्तर तक नहीं पहुंच जाता है। सीखने की तत्परता :- जब बच्चे कक्षा में अधिगम सामग्री का प्रबंध कर रहे हैं तब आपको बच्चे के पास आ सावधानी के साथ आना चाहिए जब वह आपके प्रश्नों का उत्तर नहीं देते हैं तब आप उससे नाराज हो जाते हो ऐसा क्यों हुआ? क्या आपने कभी इसके बारे में बच्चों से बातचीत करने की कोशिश की? ठीक है. अनेक कारणों के कारण कौन सा मनोशारीरिक और या सामाजिक कारण हो सकता है,जिसके कारण बच्चा सीखने के लिए तैयार नहीं हो सकता है यह विभिन्न प्रकार की तत्परता है कुछ शारीरिक परिपक्वता से संबंधित है (जो बच्चा चलने के योग्य नहीं है वह दौड़ में भाग नहीं ले सकता) कुछ बौद्धिक परिपक्वता से संबंधित है और कुछ पीछे की सूचनाओं को ग्रहण करने की परिपक्वता से संबंधित है (जो बच्चा योग्य करना नहीं जानता है वह गुन गुना करना कैसे सीख सकता है।) और कुछ प्रोत्साहन की परिपक्वता से संबंधित है। बच्चे की मानसिक तत्परता अधिगम के लिए अति आवश्यक है उदाहरण के लिए भाषा अधिगम की स्थिति में जब बच्चा प्राथमिक स्तर पर है तब उससे कठिन शब्दों और वाक्यों को सीखने की अपेक्षा नहीं की जाती है समान रूप से शारीरिक क्रिया कल्पों के लिए जैसे ढक्कन करना नृत्य करना आदि में बच्चे की शारीरिक तत्परता की आवश्यकता होती है जब बच्चा सीखने के लिए तत्पर होता है तभी वह प्रभावकारी अधिगम कर पाता है अतः तत्परता का निर्धारण करने के लिए आपको बच्चे के भावात्मक और बौद्धिक विकास का ज्ञान हो होता आवश्यक आवश्यक है। अधिगम वातावरण :- विद्यालय में प्रभावशाली शिक्षा के लिए विद्यालय का वातावरण अधिगम के अनुकूल होना आवश्यक है समय व स्थान के अनुसार अधिगम व शिक्षण प्रक्रिया में परस्पर क्रिया की अनुमति होना आवश्यक है उद्दीपित अधिगम वातावरण का सृजन एवं निर्माण प्रभावशाली कक्षा के संगठन के द्वारा पारस्परिक क्रिया के द्वारा और पूरे विद्यालय के प्रदर्शन एवं खोज पूर्ण वातावरण के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
निम्न दो कक्षाओं की स्थिति की कल्पना कीजिए :
स्थिति 3 : एक विद्यालय की छोटे कमरे में जहां 40 बच्चे बिना उपयुक्त स्थान के स्वतंत्र रूप से बैठे हैं प्रकाश और हवा का आवागमन भी कमरे में उपयुक्त रुप से नहीं है गर्मी की अधिकता और भीड़भाड़ वाले कमरे में बच्चे पसीने से भीगे हुए हैं और शोर कर रहे हैं स्थान के अभाव के कारण कमरे में कोई शिक्षण अधिगम सामग्री उपलब्ध नहीं है अध्यापक अनुशासन बनाए रखने के लिए बच्चों पर चिल्ला रहा है। स्थिति 4 : दूसरे विद्यालय में लगभग समान संख्या के बच्चे साफ-सुथरे पर्याप्त स्थान वाले हवादार कमरे में विभिन्न क्रियाकलापों में व्यस्त है दीवारों को अधिगम सामग्री से आवश्यकता अनुसार सजाया गया है शिक्षण अधिगम सामग्री उपयुक्त स्थान पर रखी हुई है और प्रचुर मात्रा में बच्चों के लिए उपलब्ध है अध्यापक बच्चों को समझाने वाला एवं उनके साथ मित्र मित्र अथवा व्यवहार रखने वाला है। एक क्षण के लिए सोचिए कि उपर्युक्त में से कौन सी स्थिति प्रभावकारी अधिगम के लिए उपयुक्त है और क्यों? और आपने स्वय के विद्यालय दिनों के बारे में भी सोचिए क्या याद आता है? अधिगम की प्रक्रिया में कौन सी क्रिया कल आपको अधिक संतुष्ट प्रदान करते थे? शायद समुदाय या समाज में कक्षा से बाहर क्षेत्रीय ब्राह्मण सामूहिक क्रियाकलाप सामूहिक कार्य परियोजना या अधिगम क्रिया कल आदि में आपको अधिक संतुष्टि प्रदान की होगी वास्तव में उपयुक्त प्रभावशाली वातावरण अपने आप नहीं हो जाता इसे बनाना पड़ता है और इसके बनाने के लिए भौतिक वातावरण जैसे कक्षा का आकार माप दीवारों का रंग फर्श की सुंदरता हवा रोशनी व साथ-साथ प्रभावशाली कक्षा संगठन जिससे बच्चे स्वयं की अधिक अधिगम में लग जाते हैं सुरक्षित रोचक वह आरामदायक तथा मित्र मित्र ही पूर्ण वातावरण छात्रों को आपके द्वारा दी गई अधिगम अनुरूप क्रियाकलापों में व्यस्त कर देते है। अधिगम और प्रेरणा :- प्रेरणा व आंतरिक बल है जो व्यक्ति को कार्य पूर्ण करने तक उसके समस्त क्रियाकलापों को नियंत्रण व दिशा देता है प्रेरणा दो प्रकार की होती है आंतरिक प्रेरणा और बाहरी प्रेरणा। आंतरिक प्रेरणा :- आंतरिक प्रेरणा रूचि आनंद से उत्पन्न होती है ना की किसी बाहरी बल के कारण आंतरिक प्रेरणा किसी क्रिया कल में प्राप्त होने वाले आनंद पर आधारित होती है ना की किसी बाहरी पुरस्कार के लालच में आंतरिक प्रेरणा से उच्च कोटि का अधिगम होता है उदाहरण विज्ञान गणित के प्रोजेक्ट विद्यार्थी को शायद इतना आनंद प्रदान करें कि उसके फलस्वरुप विद्यार्थी स्वयं ही वैसे प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित हो जाए। वाहय प्रेरणा :- किसी दया उदेश्य की प्राप्ति के लिए कार्य करना ग्रह प्रेरणा है उदाहरण यदि छात्र माता पिता की डांट से बचने के लिए या उन्हें नाराज ना करने के कारण गृहकार्य करता है तो वह बाहरी प्रभावों से प्रेरित है। अधिकतर बाहरी प्रेरणा के स्रोत इनाम प्रशंसा जैसे पैसे व अंक आदि हो सकते हैं। यदि माता पिता अध्यापक प्राया अपने बच्चों के सफलता से कार्य संपूर्ण करने पर कुछ इनाम या तोहफा आदि देते हैं तो वह ग्रह प्रेरणा है। सही उपयोग करना छात्र में अधिगम को बढ़ाती है एक अध्यापक के नाते बच्चों का ध्यान अधिगम की ओर केंद्रित करने के लिए आपको उपयुक्त युक्तियां सोचनी चाहिए। कोई दो उदाहरण दीजिए कि क्यों आंतरिक प्रेरणा ग्रह प्रेरणा से अधिगम के लिए बेहतर है
बच्चा कैसे सीखता है?
आपने बहुत से बच्चों को पहली बार कक्षा 1 में प्रवेश होने के लिए आते हुए देखा होगा यह बच्चे जो पहली बार विद्यालय में औपचारिक पाठ्यक्रम अनुसार अधिगम के लिए आए हैं क्या आप समझते हैं कि इन बच्चों ने पहले कुछ नहीं सीखा और अभी पहली बार सीखेंगे? क्रिया कल एक सामान्य बच्चा वर्ष का बच्चा जो पहली बार विद्यालय में अधिगम के लिए आया है वह जो कार्य कर सकता है उसकी सूची बनाइए श्रीमान विजय ने एक आपके जैसे अध्यापक जो प्राथमिक विद्यालय में है वह एक नए प्रवेश पाने वाले बच्चे जिसका नाम झुमका है से बातचीत की और उस का अवलोकन किया और निम्नलिखित क्रियाकलापों की सूची बनाई जो वह आसानी से कर सकती थी वह साधारण वाक्य में अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर सकती है वह विषय के अनुसार क्रिया के काल का उपयोग उपयोग करते हुए बोलती है वह साधारण प्रश्न प्रश्नों जैसे अपने दोपहर के भोजन में क्या खाया आप कौन सा खेल पसंद करती है कल आपके कल आपके घर कौन आया था कि उत्तर देती हैं वह जिज्ञासु है और बहुत सारे प्रश्न पूछती है वह अध्यापक के कथक कथा अनुसार कार्य करती हैं और उनकी बातों को समझती है जैसे खड़े हो जाओ बाय मोड़ो अपनी आंखें बंद करो श्यामपट के पास आओ आदि वह अपनी पसंद के अनुसार कुछ गाने गाती है वह अपनी कक्षा के बच्चों के साथ खेल के नियमों का मजबूती से पालन करते हुए कुछ खेल खेलती है ध्यान दीजिए सूची लंबी है कोई भी सामान्य बच्चा यह सारी क्रियाएं कर सकता है लेकिन झुंपा यह सारी क्रियाएं सुगमता से कैसे करना सीखे चाहे उसके चारों और परिवार में तथा पड़ोस में बहुत सारे व्यक्ति है पर किसी ने भी उसे यह सारी क्रियाएं करनी नहीं सिखाई स्पष्ट है कि विद्यालय की सिखाने की एकमात्र जगह नहीं है और कोई भी अपने चारों ओर से इस संसार में अनुभव की एक विस्तृत श्रृंखला सीख सकता है यदि हम स्वभाविक तौर से अनुभव ग्रहण करने की प्रक्रिया को जानते हैं तो हम कक्षा में उन प्रक्रियाओं के उपयोग से अधिगम को अधिक प्राकृतिक अर्थपूर्ण और सीखने के लिए आसान बना सकते हैं आओ कुछ नए अनुभव को प्राप्त करने की प्रक्रिया को समझते हैं जो बच्चों के द्वारा उपयोग की जाती है और दूसरों के द्वारा भी और जिस जिस की अधिगम स्वत ही हो जाता है अनुकरण अधिकांश व्यक्ति किसी कार्य को अनुकरण से व्यवहार के अवलोकन से और अन्य प्रकार की क्रियाओं से सीखते हैं यह भी कुछ मुख्य प्राकृतिक प्रक्रिया है जिससे बच्चे नए अनुभव और व्यवहारिकता को सीखते हैं अनुकरण किसी अन्य व्यक्ति के व्यवहार या क्रिया की नकल है बच्चा प्रत्येक का अनुकरण नहीं करता वह उस का चुनाव करता है जैसे वह पसंद करता है या उस व्यक्ति का अनुकरण करता है जो अपने व्यवहार या क्रियाओं से उसे आकर्षित करता है ऐसा व्यक्ति अनुकरण के लिए आदर्श बन जाता है वह आदर्श कोई भी व्यक्ति हो सकता है जो उसके प्रत्यक्ष रुप से संपर्क में रहता है जैसे माता-पिता सहोदया अध्यापक या अन्य कोई व्यस्त सदस्य जिसमें अनुकरण के कुछ गुण को कुछ ऐसी अन्य व्यक्ति होते हैं जिसके प्रत्यक्ष संपर्क में बच्चा नहीं रहता लेकिन वह अनुकरण के लिए आदर्श बन सकते हैं उदाहरण ऐसे व्यक्ति इतिहास या पौराणिक कथाओं के आदर्श हो सकते हैं जैसे अशोक महान शिवाजी अकबर गांधी नेहरू मदर टेरेसा श्री राम श्री कृष्ण मीराबाई ईसा मसीह या प्रसिद्ध फिल्म एक्टर खिलाड़ी कलाकार आदि यहां तक कि प्रसिद्ध कॉमिक्स के चरित्र भी छोटे बच्चों के लिए आदर्श बन जाते हैं ऐसी आदर्शों को संकेत आदर्श कहा जाता है अक्सर माता-पिता सहोदय में अध्यापक बच्चे को कुछ महान हस्तियों के उदाहरण भी देते हैं ऐसी आदर्शों को या तो वास्तविक आदर्श या उधार लिए आदर्श कहा जाता है यह ध्यान देने की बात है कि सभी अनुकरण अधिगम नहीं होता जबकि अनूप अनुकरणीय व्यक्ति बच्चे के दिमाग पर अपनी पक्की छाप नहीं छोड़ता जब आप किसी बच्चे को सकारात्मकता और एक चित्र का अनुकरण करते हुए अवलोकन करते हैं तो आप कैसे उस अनुकरणीय व्यवहार को अधिगम व्यवहार में बदलने के लिए बल दे सकते हो संभवता अनुकरण को बल देने के तीन रास्ते खो सकते हैं जो कि निम्न है प्रत्यक्ष प्रशंसा या इनाम प्रदान करना तथा उनके द्वारा जैसे वह तो एक विशेषज्ञ की तरह से समस्या हल कर रहा है वह तो लता मंगेशकर की तरह बहुत अच्छा गा रही है या क्या शॉट खेला है यह तो बिल्कुल सचिन तेंदुलकर की तरह से खेलता बच्चे के व्यवहार को दोहराने के लिए प्रेरित करते हैं संतोषजनक परिणाम यदि अनुकरण से बच्चा एक समाज स्वीकृति व्यवहार को अपनाता है वह वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करता है तो वह उसे दोहराना पसंद करता है उदाहरण के लिए जब कोई बच्चा अपनी मां को दूध कहते हुए अनुकरण करता है तो वह उस शब्द को दोहराना पसंद करेगा यदि दोहराने आप को पीने के लिए दूध मिलता है प्रतिनिधित्व पुनर्बलन अनुकरण अधिकांश व्यक्ति किसी कार्य को अनुकरण से वह वार के अवलोकन से और अन्य प्रकार की क्रियाओं से सीखते हैं यह भी कुछ मुख्य प्रकृति प्रक्रिया है जिस बच्चे मैं अनुभवों और वह वारिस शाह को सीखते हैं अनुकरण किसी अन्य व्यक्ति के वह वाया क्रिया की नकल है बचा रतीश का अनुकरण नहीं करता वह उसका चुनाव करता है जैसे वह पसंद करता है या उस व्यक्ति का अनुकरण करता है जो अपनी वह वार या क्रियाओं से उसे आकर्षित करता है ऐसा व्यक्ति अनुकरण के लिए आदर्श बन जाता है वह आदर्श कोई भी व्यक्ति हो सकता है जो उसके प्रथक रुप से संपर्क में रहता है जैसे माता पिता समुद्र अध्यापक को सदस्य जिसमें अनुकरण के कुछ गुण होते हैं जिसके असक्षम पकने बचा नहीं रहता लेकिन उनके लिए आसन सकते हैं उधर इतिहास सकते हैं अशोक महान शिवाजी अकबर गांधी नेहरु मदरसा श्री राम श्री कृष्णा मीराबाई ईसा मसीह या प्रसिद्ध फिल्म एक्टर खिलाड़ी कलाकार आदि यहां तक कि प्रसिद्ध कॉमिक्स के चरित्र भी छोटे बच्चे के आदर्श बन जाते हैं ऐसे आदर्शों को संकेत एक आदर्श कहा जाता है अक्सर माता-पिता सहोदर व अध्यापक बच्चे को कुछ महान हस्तियों के उदाहरण भी देते हैं ऐसे आदर्शों को या तो वास्तविक आदर्श या उदाहरण आदर्श कहा जाता है यह ध्यान देने की बात है कि सब की सभी अनुकरण अधिगम नहीं होते जब तक कि अनुकरणीय व्यक्ति बच्चे के दिमाग पर अपनी पक्की छाप नहीं छोड़ता या आप किसी बच्चे को सकारात्मक तक और उचित क्रिया का अनुकरण करते हुए अवलोकन करते हैं तो आप कैसे उस अनुकरणीय व्यवहार को अधिगम व्यवहार में बदलने के लिए बल दे सकते हो संभवता अनुकरण को बल देने की टीम रास्ते हो सकते हैं जो कि निम्न है प्रत्यक्ष प्रशंसा या इनाम प्रदान कराना कथन के द्वारा जैसे वह तो एक विशेषज्ञ की तरह से समस्या हल कर रहा है वह तो लता मंगेशकर की तरह बहुत अच्छा गा रही है या क्या शॉट खेला है यह तो बिल्कुल सचिन तेंदुलकर की तरह से खेलता बच्चे के व्यवहार को दोहराने के लिए प्रेरित करते हैं संतोषजनक परिणाम यदि अनुकरण से बच्चा एक समाज स्वीकृति व्यवहार को अपनाता है वह वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करता है तो वह उसे दोहराना पसंद करता है उदाहरण के लिए जब कोई बच्चा अपनी मां को दूध कहते हुए अनुकरण करता है तो वह उस शब्द को दोहराना प्रसन्न करेगा यदि दोहराने दे उसको पीने के लिए दूध मिलता है प्रतिनिधित्व पुनर्बलन कभी-कभी बच्चा दूसरों के अनुकरण को देखकर बिना किसी इनाम या संतोषजनक परिणाम के लालच के अनुसार अनुकरण करता है इसके पीछे उसका तर्क होता है कि यदि दूसरों को ऐसा करने से लाभ प्राप्त होता है तो मुझे भी होगा किसी विशेष प्रकार की ड्रग्स या लिपस्टिक का चुनाव करना किसी विशेष तरीके से बात करना या कोई विभिन्न धुन को गाना आदि ऐसे कुछ प्रतिनिधित्व अनुकरण के उदाहरण है अनुकरण के प्रभाव सरकारी तौर पर अनुकरण एक आदर्श के व्यवहार की पूर्ण से नकल है सम्मिलित प्रतिक्रियाओं का गंभीरता से परीक्षण करने पर यह सुझाव दिया जाता है कि अनुकरणीय व्यवहार की तीन श्रेणियां है
आदर्श के प्रभाव दमनात्मक आगमनात्मक प्रभाव और प्रकृति करण का प्रभाव
- किसी आदर्श के अवलोकन के परिणाम स्वरुप ग्रहण किए गए व्यवहार आदर्श के व्यवहार में सम्मिलित होते हैं।
- आमतौर पर समान व्यवहार में व्यस्त किसी आदर्श को दंडित होता हुआ देखने के लिए परिणाम स्वरुप आदर्श के पथभ्रष्ट व्यवहार के प्रतिबंध से यह दमन आत्मक प्रभाव संबंधित है।
आगमनात्मक प्रभाव इसके विपरीत है यह तब घटित है जब बच्चा किसी आदर्श को पहले से सीखते हुए पथभ्रष्ट व्यवहार करने के कारण इनाम पाते हुए अवलोकन करता है।
- प्रकृति कारण प्रभाव किसी आदर्श के प्रति क्रियात्मक कार्य से संबंधित है ना कि उसकी व्यवहारिक विशेषताओं पर प्रकृति करण प्रभाव का एक उदाहरण समूह का व्यवहार है किसी खेल की घटना में भीड़ में एक व्यक्ति दूसरों के व्यवहार को देखकर ताली बजा रहा है कभी-कभी भीड़ में बहुत से व्यक्ति यह नहीं जानते कि वह इस तरह का व्यवहार क्यों प्रकट कर रहे हैं
एक शिक्षक के रूप में आप कक्षा में छोटे बच्चों में सकारात्मक और मानसिक अच्छे व्यवहार को विकसित करने के योग्य बनाने के लिए प्रकृति कर्ण का विकास प्रकटीकरण का किस प्रकार उपयोग कर सकते हैं?
आप निम्न लिखित कार्य कर सकते हैं –
- अपने विद्यार्थियों के द्वारा प्रगटीकरण के लिए आदर्श बनने की कोशिश कीजिए अपने व्यवहार के सकारात्मक पहलू का प्रदर्शन अपने विद्यार्थियों के सामने कीजिए एक शिक्षक के सकारात्मक अभ्यास जैसे स्वच्छता समय बंधुता सच्चाई और सुंदरता आदि सभी बच्चे को प्रगटीकरण सिखाने के लिए प्रभावकारी है कभी भी अपने किसी कमजोरी का प्रदर्शन बच्चों के सामने ना करें।
- जब आप इतिहास सामाजिक विज्ञान साहित्य और कहानी आदि बच्चों को सिखा रहे हो तो हमेशा महत्वपूर्ण चरित्रों के सकारात्मक पहलू को बच्चों के द्वारा प्रकटीकरण के लिए चिन्ह आंत्रिक कीजिए।
- जब कोई बच्चा सकारात्मक व्यवहार को प्रकट करता है तो इससे पहचानने की कोशिश कीजिए और उसे उत्साहित कीजिए कि वह ऐसा पुन करें।
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