वर्तमान समय मे सबसे चर्चित विषय है मनोविज्ञान । मनोविज्ञान एक ऐसा विषय है, जो किसी न किसी प्रकार हर विषय से जुड़ा हुआ है, क्योंकि अब तक जितना भी ज्ञान विकासित हुआ है, वह मानव व्यवहार से ही जन्म लेता है इस बात को हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं। किसी कंपनी में कुध व्यकित कार्य करते है, यदि कम्पनी के मालिक या प्रबंधक आपने र्कमचारियों को उचित वेतन नहीं दे व अन्य सुविधाए भी न दे तो इन प्रतिकूल परिस्थितियों का दुष्प्रभाव इन कर्मचारियो की कार्य क्षमता पर पड़ेगा । कर्मचारियों में असंतोष फैलेगा और इसके विपरीत यदि कर्मचारियों को उचित वेतन व सुविधाए दी जाएं तो कम्पनी की उत्पादन क्षमता कई गुणा बढ़ जाएगी ।
अतः यदि मानव व्यवहार को समझना है, तो मनोविज्ञान की सहायता से ही समझा जा सकता है । मनोविज्ञान के बिना मानव व्यवहार का अध्ययन अंसभव है । अरस्तू ( Aristotle ) ने मनुष्य को एक सामाजिक प्राणी कहा है । जैसे जैसे मनुष्य का सामजिक विकास होता होता है, तो बुद्धि व व्यवहार का विकास भी होता रहता है । मनोविज्ञान का जन्मदाता दर्शनशास्त्र को माना जाता हैा अगर हम मनोविज्ञान के शाब्दिक अर्थ की बात कों, तो मनो विज्ञान अंग्रेजी भाषा के Psychology ( साइकाँलाँजी ) का हिन्दी रूपान्तर है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है, अर्थात साइक ( Psyche ) और लोगाँस ( Logos ) साइक का अर्थ है – आत्मा और लोगाँस का अर्थ है ” विज्ञान ” अर्थात आत्मा का विज्ञान ।
अगर हम मनोविज्ञान के विकास की बात करें तो यह पहले दर्शन – शास्त्र की शाखा , उसके बाद आत्मा का विज्ञान, मन का विज्ञान , चेतना का विज्ञान , उसके बाद व्यवहार का विज्ञान और र्वतान मे मनोविज्ञान कहलाता है ।
मनोविज्ञान को समझने के बाद बात करते है, शिक्षा मनोविज्ञान की । यूँ तो शिक्षा मनोविज्ञान से ही स्पष्ट हो जाता है कि जो मनोविज्ञान शिक्षा के क्षेत्रों में प्रयुक्त होता है , वह शिक्षा मनोविज्ञान कहलाता है जैसा कि सी . ई . स्किनर ( C.E SKINER ) ने अपनी प्रासिद्ध पुस्तक ” शिक्षामनोविज्ञान” में लिखा है-
“ शिक्षा मनोविज्ञान उन अनुसंधानो को शैक्षिक परिस्थितियो में प्रयोग करता है जो शैक्षिक परिस्थितियो में मानव तथा प्राणियो से संबधित है”
शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति : शिक्षा मनोविज्ञान का प्रमुख कार्य शिक्षा से जुड़ी समस्याओ का हल दूंढ़ना है। अर्थात् शिक्षा मनोविज्ञान विधार्थी की शिक्षा प्राप्त करने की प्रक्रिया तथा अध्यापक की शिक्षण – प्रक्रिया दोनो का ही अध्ययन करता है, अर्थात् कहा जा सकता है कि शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति निम्न प्रकार से है –
शिक्षा मनोविज्ञान के उद्देश्य : सम्पूर्ण व्यकितत्व का विकास तथा लगातार वृद्धि करना ही शिक्षा मनोविज्ञान का उद्देश्य है शिक्षा मनोविज्ञान के सामान्य उद्देश्य निम्न प्रकार से हेैः
- शिक्षा का सर्वागीण विकास ।
- अध्यापक मे उचित दृष्टिकोणो का विकास करना ।
- शैक्षिक परिस्थि तियाँ तैयार करने में अध्यान की सहायता काना
- अध्यापको को उसके व्यवसाय को समझने मे सहायता देना ।
- अध्यापको को शिक्षण विधियों को समझना
- मापन व मूल्यांकन की विधियां प्रदान करना ।
उपरोक्त उद्देश्यो के अलवा कैली ( Kelly ) ने 9 उद्देश्यो की चर्चा की है, जो निम्न प्रकार हैः
- बच्चो की प्रकृति का ज्ञान
- बच्चे का अपने वातावरण से यायोजन
- संवेगों पर नियंत्रण
- शिक्षण व अधिगम
- छात्रो की योग्यताओ को मापना
- चरित्र चित्रण के सिद्धांतों को समझाना
- वैज्ञानिक विधियो से अवगत कसना
- बच्चे की वृद्धि व विकास से अवगत कराना
- शिक्षा के उद्देश्यो से परिचित कराना
इसके अतिसक्त विभिन्न विचारको ने शिक्षा मनोविज्ञान के उद्देश्यो को अलग – अलग प्रकार से बताया है , जहा शिक्षा
मनोविज्ञान को पढ़ने व जानने के बाद कुछ लाभ है वहीं कुछ सीमाएं या दोष भी हैं।
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