समावेशी शिक्षा Inclusive Education
समावेशी शिक्षा को मुख्यता 3 भाग मे रखा गया है –
- Physical Disability (शारीरिक, मानसिक विकलांग)
- Learning Disability (अधिगम अशक्तता)
- Children from :(¡) Scheduled caste (अनसूचित जाति ), (ii) Scheduled tribe (अनुसूचित जनजाति), (iii) Economically weaker section, ( निर्धन एवं पिछड़े वर्ग के बच्चे )
इन तीनों बिन्दुओं में समावेशी शिक्षा को देखा जा सकता है।
समावेशी शिक्षा का अर्थ है सभी विद्यार्थीयों को समान शिक्षा देना या प्रदान करना है इस शिक्षा में सभी बच्चों को सामान रूप से शिक्षा दी जाती है। सभी बच्चों से अर्थ : उन में कुछ बच्चे विशिष्ट ( special children ) हो सकते है। शारीरिक विकलांग या कोई शारीरिक कमियाँ हो जैसे, सुनाई नही देना, चलने मे कठिनाई, मानसिक विकलांग या लिखने पढ़ने में कठिनाई महसूस करना, तथा जो अन्य बच्चों से कमजोर हो सकते है । समावेशी शिक्षा में विशिष्ट बच्चों की छुपी हुई योग्यता को उभार जाए यह मुख्य उद्देश्य विशिष्ट शिक्षा का है।
आज केवल प्रतिभाशाली बच्चों को ही बढ़ावा ना दिया जाए बल्कि सभी प्रकार से कमजोर या पिछड़े बच्चों अनसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (Scheduled Cast ) पर उचित ध्यान दिया जाए ताकि वह देश की मुख धारा में आकार वे भी अपनी योग्यताओं का विकास करे और देश की उन्नति में योगदान कर सके।
- प्रतिभाशाली( Genius) बच्चा जिस को सब कुछ आता हो और वह सब कुछ जल्दी जल्दी सीखता हो।
ऐसे बच्चों के लिए भी कोई अलग स्कूल नही होना चाहिए – तो इन सभी बच्चों को हमें एक ही स्कूल में पढ़ना होगा।
शैक्षिक संस्थान को देखना चाहिए समाज में इन सभी बच्चों को एक स्कूल में ही डालना चाहिए और ऐसा नही होना चाहिए की बच्चों पर दबाव दे रहे हो की आप इस तरह सिखों। शिक्षा प्रणाली ( Education system )को बदलना चाहिए या Adjust करना चाहिए की वो विकलांग बच्चों के लिए Special Device दे या Special तरीका सोचे उन्हें सिखाने के लिए और अलग अलग तरीके से सिखाए और उन्हे अलग नही समझें Normal बच्चों से ।
नोट् – समावेशी शिक्षा का अर्थ लोग यह समझते है इसमें विकलांग बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ शिक्षा दी जाती है। पर ऐसा नही है वास्तव में समावेशी शिक्षा केवल विकलांग बच्चों तक नही है बाल्कि इसका अर्थ किसी भी बच्चे का बहिष्कार न होना भी है।
समावेशी शिक्षा के उद्देश्य ( Aims of Inclusive Education ) :
समावेशी शिक्षा के मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार से है –
- बच्चों में विशिष्ट बच्चों की पहचान करना और किसी भी प्रकार की असमर्थता का पाता लगाकर उनको दूर करने की कोशिश करना।
- विशिष्ट बच्चों को आत्म – निर्भर बनाकर उन्हे समाज की मुख्य धारा से जोड़ना।
- लोकतांत्रिक मूल्यों के उदेश्यों को प्राप्त करना।
- जागरूकता की भावना का विकास करना
- बच्चों में आत्मनिर्भर की भावना का विकास करना आदि।
- समावेशी शिक्षा में यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी व्यक्ति शिक्षा में दाखिले से वंचित ना रह पाये।
- समावेशी शिक्षा में यह सुनिश्चित किया जाए की कोई भी बच्चे को चाहे वह शारीरिक अपंगता से ग्रस्त हो फिर भी शिक्षा के समान अवसर से वंचित नहीं किया जा सकता है। उन्हें आंगनबाड़ी और स्कूली शिक्षा से किसी प्रकार से नही रोका जाएगा।
- समावेशी शिक्षा में यह सुनिश्चित किया जाए कि शारीरिक विकलांगता और मानसिक रुप से अपंग बच्चों को पढ़ाने लिखाने के लिए शैक्षिक संस्थाओं को गैर शैक्षिक संस्थाओं को विशेष व्यवस्था की जानी चाहिए। ऐसे आध्यपकों की नियुक्ति की जाए जो विशिष्ट बच्चों को पढ़ाने के योग्य हो।
- इस शिक्षा के अन्तरर्गत शैशिक संस्थाओं का कर्तव्य होता है कि वह यह सुनिश्चित करे की ऐसे बच्चों के लिए जो शाहारो से दूर है उन के लिए छात्रावास का प्रबंध करे।
समावेशी शिक्षा अधिनियम Disability Act 1995 और National Trust Act 1999 मे स्पष्ट किया गया है –
- Blindness
- Low Vision
- Leprosy Cured
- Hearing impairment
- Locomotor Disability
- Mental Retardation
- Mental illness
- Autism
- Cerebral Palsy
- Multiple Disabilities
निर्धन एवं पिछड़े वर्ग के बच्चे एवं उनकी शिक्षा (Poor and Backward Classes Children and their Education)
- निर्धन एवं पिछड़े वर्ग के बच्चों को शिक्षा के दायरे में लाने के लिए शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित कर दिया है, और सभी बच्चों को शिक्षा प्रदान करना अनिवार्य है जो निः शुल्क प्रदान की जा रही है, पर निर्धनता के कारण माता – पिता बच्चों को स्कूल नही भेज पाते। जिस से समावेशी शिक्षा के उदेश्य में बाधा उत्पन हो रही है।
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार बच्चों की निः शुल्क एव अनिवार्य शिक्षा को प्रोत्साहित किया गया है। जिस में निर्धनता की समस्या को देखते हुए स्कूलो में मध्याभोजन स्कीम लागू किया गया है। जिस से माता – पिता उन्हे स्कूल भेजे ना की काम पर ।
सामावेशी शिक्षा के उदेशय को पूरा करने हेतु राज्य ससकारों द्वारा पिछड़ें वर्ग के बच्चों के लिए बहुत से कार्यक्रम चलाए जा रहे है,
जिनमें से कुध प्रमुख कार्यक्रम इस प्रकार हैं-
- बलकों के लिए मुफ्त किताबो की व्यवस्था करना।
- मुफ्त पोशाकें तथा छात्रावासो का प्रबन्ध करना
- सभी स्तरों पर निः शुल्क शिक्षा
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बच्चे एवं उनकी शिक्षा
- औपचारिक शिक्षा व्यवस्था से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को अलग रखा गया है। पहला जाति के आधार पर विभाजित समाज में सबसे पिछड़ा होने और दूसरे उनके भौगोलिक स्थिति तथा सांस्कृतिक अन्तरों के करण उच्च समुदाय ने अपने हित के लिए उनका हन्न किया।
अनुसूचित जाति एंव जनजाति के बच्चो की शिक्षा के खराब स्तर के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखत है –
- विद्यालय में अनुसूचित जनजाति के बालकों का प्रवेश कम होना
- अध्यापक द्वारा उनके शिक्षण के प्रति खराब दृष्टिकोण ।
- बौद्धिक क्षेत्र से पिछडे होना
- निर्धनता
- इन वगों में शिक्षा के महत्व और प्रचार प्रसार का अभाव
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए शिक्षा तथा अन्य अधिकारों से वंचित समुदायों के उथन के लिए भारतीय संविधान में विशेष प्रावधान किया गया जिस से उनका समुचित विकास हो सके।
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बच्चों के लिए शिक्षा मुहैय कराने हेतु भारतीय संविधान की धाराओं 15 (4), 45 और 46 में विशेष प्रावधान दिया गया है।
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