दर्शनशास्त्र की परिभाषा – हम यह कह सकते हैं, दर्शनशास्त्र की विचारधारा बहुत ही प्राचीन है। जो कि दो शब्दों से मिलकर बनी है – “दर्शन” तथा “शास्त्र” = दर्शनशास्त्र दर्शन शब्द का अर्थ होता है देखना अर्थात जीवन और जगत के प्रति एक दृष्टिकोण रखना।
मानव इस संसार में जब से आया है तब से वह अपने विभिन्न प्रश्नों को जानने समझने की कोशिश कर रहा है।मानव के जन्म, उद्देश्य,कारण, विभिन्न संबंधों को समझना चाहता है,और संचार की प्रक्रिया को जानना चाहता है। इसी को हम दार्शनिकता कहते हैं।
मनुष्य को ज्ञान की पिपासा को तृप्त करना, सत्य की खोज में रहना, भगवान तथा दृश्य जगत की सभी तत्वों की जानकारी प्राप्त करना आदि है दर्शनशास्त्र से आप जान सकते हो यह जीवन क्या है और इसका क्या उद्देश्य है दर्शनशास्त्र से हमें इन सभी सवालों के उत्तर प्राप्त होते हैं जोकि जीवन की विभिन्न जटिलताओं और कठिनाइयों का हल निकालने का प्रयास करता है संसार में बहुत से महापुरुष हुए हैं जिन्होंने जीवन और जगत के विभिन्न पहलुओं पर चिंतन किया और क्या अर्जित किया इस प्रकार का ज्ञान प्राप्त करना दर्शनशास्त्र कहलाता है।
दर्शन शब्द का अर्थ : दर्शन शब्द को अंग्रेजी भाषा में Philosophy ( फिलॉस्पी )कहते हैं जोकि यूनानी भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है – Philos तथा Sophia \ Philos अर्थ है प्रेम तथा Sophia का अर्थ है ज्ञान इस प्रकार से दर्शन का पूर्ण अर्थ बनता है –ज्ञान से प्रेम करना मनुष्य अपने जीवन और चारों ओर फैले हुए संसार को जानने का इच्छुक होता है,सभी प्रकार के ज्ञान को प्राप्त करना चाहते हैं,और यही दार्शनिकता कहलाती है।
दर्शन शब्द का व्यापक अर्थ : दर्शन शब्द को व्यापक रूप से भी जोड़ा जाता है जो आत्मा परमात्मा के स्वरुप तथा ब्रह्मांड की व्याख्या करता है और मानव जाति के विभिन्न समस्याओं ज्ञान-विज्ञान आदि का तर्क पूर्ण ढंग से विवेचन करता है हम यह भी कह सकते हैं जिस किसी भी वस्तु तथा कार्य का तर्क पूर्ण ढंग से विवेचन करने वाली कला को दर्शन शास्त्र कहते हैं
दर्शन शब्द का संकुचित अर्थ: दर्शन शब्द का संकुचित अर्थ भी निकाला गया है जो आत्मा परमात्मा और प्रकृति के रहस्य को जानने के लिए प्रयास करें मनुष्य दर्शनशास्त्र में यह चिंतन करता है परमात्मा तथा प्रकृति के रहस्य क्या है जीवन क्या है जीवन का क्या उद्देश्य है और जीवन का अंत क्यों होता है और इस संसार को चलाने वाली शक्ति कौन है मृत्यु के बाद क्या होता है क्या आत्मा पुनः जन्म लेती है या नहीं आत्मा और परमात्मा का क्या संबंध है
दर्शन की परिभाषाएं:
डॉ राधाकृष्णन के अनुसार दर्शन वास्तविकता के स्वरूप की तर्कसंगत खोज है( According to Dr. Radha Krishna, “ Philosophy is a logigal enquiry in to the nature of reality”.)
फिक्टे के अनुसार दर्शन ज्ञान का विज्ञान है ( According to fichte, “ Philosophy is the science of Knowledge.” )
कांट शब्दों में “दर्शन ज्ञान का विज्ञान तथा आलोचना है “ ( According to kat, “ Philosophy is the science and criticism of cognition” )
इन सभी परिभाषाओं के आधार पर जा सकता है कि दर्शनशास्त्र एक ऐसा वैज्ञानिक है जो मानव जीवन तथा प्रकृति की वास्तविकता को जानने और समझने का प्रयास करता है
प्रकृति : दर्शन शास्त्र की प्रकृति को समझना अन्य शास्त्रों की तुलना में बहुत अलग है इसमें दर्शनशास्त्री मानव जीवन और जगत की व्याख्या करने का प्रयास करता है
- जीवन के प्रति दृष्टिकोण: सभी व्यक्ति का अपने जीवन को जीने के कुछ सिद्धांत होते हैं और उस जीवन को जीने की एक प्रक्रिया होती है उदाहरण जैसे मदर टेरेसा मैं जीवन भर दूसरों की सेवा करी यही उनका जीवन दर्शन था इसी तरह महात्मा गांधी जी जीवन पर सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चले यही उनका जीवन दर्शन था
- आलोचनात्मक दृष्टिकोण: दर्शन का दृष्टिकोण आलोचनात्मक होता है यह जीवन के सभी पहलुओं का विश्लेषण करता है विभिन्न मतभेद धारणाओं को स्पष्ट करके जीवन और जगत से जोड़ने का प्रयास करता है, और तर्क पूर्ण चिंतन से जीवन के बहुत से दृष्टिकोणों में एकता स्थापित करने का प्रयास करता है
- मानवीय अनुभव पर आधारित: कुछ विद्वानों का कहना है कि दर्शनशास्त्र एक मानवीय अनुभव है जिसे उसने प्रकृति से प्राप्त किया है इन्हीं अनुभवों को जानकर बहुत सारे लोग दर्शन को अपनाते हैं लोगों की विभिन्न परिस्थितियों के कारण ही दार्शनिक चेतना पैदा होती है उदाहरण जैसे – संत और महात्माओ ने अपने अनुभव के आधार पर ही दार्शनिक चेतना को विकसित किया और लोगों को ज्ञान देकर उनके लिए मार्ग को तैयार किया
- मानवीय अनुभवों का एकीकरण: सभी मनुष्य को अपने जीवन से बहुत से अनुभव मिलते हैं और प्रत्येक व्यक्ति के अनुभव दूसरे व्यक्ति के अनुभव से अलग प्रकार के होते हैं दर्शन एक ऐसा प्रयास है जो व्यक्तिगत और सामूहिक अनुभवों के फलस्वरुप विकसित होता है दर्शनशास्त्र मानव जाति को जोड़ता है और मानव को जितना हो सके ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करता है, जिससे मनुष्य में ज्ञान की तृप्ति हो जाती है दर्शनशास्त्र की प्रमुख प्रकृति है जो मानव के अस्तित्व को सोद्देश्य बनाता है और मानव समाज को सही रास्ता दिखाता है
अभिप्राय: दर्शनशास्त्र का अर्थ की खोज करना, तथा मानव -जीवन, ईश्वर तथा दृश्य जगत तत्वों की जानकारी प्राप्त करना है कि जीवन क्या है और इसका उद्देश्य क्या है इन सभी का उत्तर हमें मिलता है इन सभी कारणों से कहा गया है की दर्शन पर जीवन की जटिल समस्याओं को हल निकालने का प्रयास करता है यह हमारे जीवन को अनुशासित करता है संसार के बहुत से महापुरुषों ने जीवन और जगत के विभिन्न पहलुओं पर चिंतन किया और ज्ञान अर्जित किया यही ज्ञान प्राप्त करना दर्शनशास्त्र है अगर मानव भौतिक दृष्टि से कितना ही विकास कर ले चंद्रमा में पहुंच कर घर बना ले,समुद्र के गर्भ में प्रवेश करके वहां की जानकारी प्राप्त कर ले अथवा धनवान बन जाए परंतु यदि मैं अध्यापक दृष्टि से दरिद्र है तो उसका जीवन व्यर्थ है अतः संक्षेप में हम कह सकते हैं कि दर्शन शब्द का अभिप्राय है – आत्मा, परमात्मा, पुनर्जन्म, जीवन, मोक्ष, आदि विभिन्न पहलुओं पर चिंतन करना और मानव के आत्मिक विकास में सहायक बनना।
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