छत्तीसगढ़ का इतिहास ( सामान्य ज्ञान )

छत्तीसगढ़ का परिचय एवं नामकरण 

छत्तीसगढ़ भारत का 26 वां राज्य है जो कि प्राचीन काल  में दक्षिण कौशल के नाम से जाना जाता था। कुछ विद्वानों ने इसका नाम कोसल तथा महाकोसल भी बताया है, और प्राचीन ग्रंथों में छत्तीसगढ़ का नाम महाकान्तर भी पाया गया है। 1 नवम्बर 2000 कों यह मध्य प्रेदश से विभाजित कर पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण कर लिया गया।

6 वी एवं 12 वी शताब्दी में शरभपुरीय, पन्दुवंशी, नागवंशी और सोमवंशी शासकों ने इस क्षेत्र पर शासन किया। कलचुरियों ने इस क्षेत्र पर वर्ष 875 ई० से लेकर 1741 ई० तक राज्य किया। 1741 ई० से 1854 ई० में यह क्षेत्र मराठों के शासन आधीन रहा। फिर 1854 ई० में जब अंग्रेजों के आक्रमण के बाद ब्रिटिश शासन काल में राजधानी रतनगढ़ के बजाय रायपुर का महत्त्व बढ़ गया।

 

रायपुर के अधीन गढ़

रायपुर, पाटन, सिंगारपुर ,सिमगा , लवन, अमोरा, दुर्ग, सारधा, सिरसा, मोहदी, खल्लारी, सिरपुर, फिंगेश्वर, राजिम, सिंगारगढा, सुवरमार, टेंगनागढ़, अकलवाड़ा

 

रतनपुर के अधीन गढ़

रतनपुर, विजयपुर, खरौद, मारो, कोटगढ़, नवागढ़, सोंधी, ओखर, पड़रभट्टा, सेमरिया, मदनपुर ( चांपा ), लाफा, कोसगई ( छुरी ), केण्दा, मातीन, उपरोरा, कण्ड्री ( पेण्ड्रा ) कुरुकुट्टी

 

छत्तीसगढ़ा नाम का उल्लेख –

  • छत्तीसगढ़ा का नाम सबसे पहले देखा गया था, खैरागढ़ राज्य के राजा लमीनिधि के राज्य काल में कवि दलराम राव द्वारा 1487 में अपने इन रचना पंक्ति में किया –

“ लक्ष्मी निधि राय सुनो चित्त दे, गढ़ छत्तीस में  न गढैया रही “

  • गोपाल मिश्र ( खूब तमाश ) – छत्तीसगढ शब्द का राजनीतिक संदर्भो में प्रयोग पहली बार राजा राजसिंह ( 1689 – 1712 ) के राजाश्रय में रतनपुर के कावि गोपाल मिश्र ने अपनी कृति खूब तमाश में रतनपुर राज्य के लिए किया।

“ बरन सकल पुर देव देवता नर नारी रस रस के बसय

छत्तीसगढ़ कुरी सब दिन के रस वासी बस बस के …”

  • बाबू रेवाराम ( विक्रम विलास ) – बाबू रेवाराम  ने 1896 में अपने विक्रम विलास नामक अपने ग्रंथ में छत्तीसगढ़ क्षेत्र का प्रयोग किया है। जो पंक्ति यह है –

“  तिनमें दक्षिण कोसल देसा, जह हीर ओतु केसरी वेसा तासु मध्य

छत्तीसगढ़ पावन, पुण्य भूमि सुर मुनि मन भावन …”

  • बिलासपुर गजेटियर – बिलासपुर डिस्ट्रिक्ट गजेटियर के अनुसार 1910 में कैप्टन ब्लंट ने 1795 में घत्तीसगढ़ से राजामुन्द्री की यात्रा की तथा अपने विवरण में छत्तीसगढ़ का उल्लेख किया। ( द्वारा – 1910 का बिलासपुर जिला गजेटियर : संपादक – ए . ई . नेल्सन )

 

  • काशी नाथ गुप्ते ( नागपुर कर भोंसल्याची ) – छत्तीसगढ़ का प्रथम उल्लेख 1707 में मराठा ऐतिहासिक संदर्भ में सदन में मिलता है, जिसकी बात काशी नाथ गुप्ते ने अपनी रचना नागपुर कर भोंसल्याची बखर में किया है।

 

  • महाकोसल ( ब्रिटिश काल ) – ब्रिटिश काल में पुरातत्ववेत्ता कनिधम ने छत्तीसगढ़ के लिए महाकोसल शब्द का प्रयोग किया था।

 

  • रतनपुर राज्य ( मुगल काल ) – छत्तीसगढ़ क्षेत्र को मुगल काल में रातनपुर राज्य शब्द का प्रयोग किया गया है।

यह भी पढ़े –प्रागैतिहासिक काल छत्तीसगढ का प्राचीन इतिहास

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